Mar 21, 2024
एयरक्राफ्ट के टायरों को इस तरह से बनाया जाता है कि वह कम समय तक भारी-भरकम वजन को झेल सकें।
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प्लेन का वजन जितना ज्यादा होता है, उतने ही ज्यादा टायर उस प्लेन में इस्तेमाल किये जाते हैं।
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एयरप्लेन के टायरों में फ्यूज भी लगा होता है जो इन्हेंअचानक फटने नहीं देता और इमरजेंसी लैंडिंग में भी काम आता है।
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अगर अचानक किसी वजह से प्लेन को टेकऑफ के वक्त रुकना पड़े तो जबरदस्त ब्रेकिंग से टायर गर्म हो सकते हैं।
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कार के टायरों में 36 psi प्रेशर ही होता है जबकि एयरप्लेन के टायरों में 200 psi प्रेशर होता है।
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एयरप्लेन के टायरों को फुलाने के लिए रेग्युलर हवा नहीं बल्कि नाइट्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है।
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एयरप्लेन के टायरों में अलग पैटर्न होता है ताकि ये तेज हवा की स्थिति में प्लेन को स्टेबिलिटी प्रदान कर सकें।
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ज्यादा बड़े टायर इस्तेमाल करने से फ्यूल भी ज्यादा इस्तेमाल होगा और इससे बचने के लिए टायरों का साइज छोटा ही रखा जाता है।
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