नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम 'परीक्षा पे चर्चा 2020' के माध्यम से छात्रों का उत्साह बढ़ाया और उन्हें बताया कि परीक्षा के दौरान वो किस तरह अपना तनाव कम कर सकते हैं। पीएम मोदी ने कई उदाहरणों से बच्चों को समझाने की कोशिश की कि निराशा में भी सफलता खोजी जा सकती है। उन्होंने स्टूडेंट्स को क्रिकेट के 2 उदाहरण सुनाए। इनके माध्यम से पीएम मोदी ने छात्रों को बताया कि विफलता में भी सफलता की शिक्षा पा सकते हैं।
पहला उदाहरण
प्रधानमंत्री मोदी ने छात्रों के सामने 2001 में कोलकाता में खेले गए भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच के टेस्ट का जिक्र किया। पीएम मोदी ने बताया कैसे टीम इंडिया टेस्ट मैच में पिछड़ी हुई थी। ऑस्ट्रेलिया ने भारत को फॉलोऑन दिया और दूसरी पारी में भी भारत के एक के बाद एक विकेट गिरने लगे। हर तरफ निराशा थी। लेकिन वीवीएस लक्ष्मण और राहुल द्रविड़ टिक गए और धीरे-धीरे खेल को अपने पक्ष में करते गए। उन्होंने इस तरह से चीजें बदलीं कि भारत टेस्ट मैच जीत गया। निराशा के माहौल में उन्होंने संकल्प दिखाया। इस टेस्ट में लक्ष्मण और द्रविड़ के बीच 300 से ज्यादा रनों की साझेदारी हुई। लक्ष्मण ने 281 और द्रविड़ ने 180 रन बनाए।
दूसरा उदाहरण
एक और उदाहरण में पीएम मोदी ने वेस्टइंडीज में खेले गए टेस्ट मैच का जिक्र किया। इस मैच में अनिल कुंबले को चेहरे पर गेंद लग गई थी और उनका जबड़ा टूट गया था। इसके बावजूद उन्होंने जबड़े पर पट्टी बांधकर गेंदबाजी की और वेस्टइंडीज के महान बल्लेबाज ब्रायन लारा का विकेट लिया। पीएम मोदी ने कहा, अगर अनिल बॉलिंग नहीं करते तो देश उन्हें दोष नहीं देता, लेकिन वो उतरे और गेंदबाजी की। उस समय लारा का विकेट बहुत अहमियत रखता था। ये उनका संकल्प था।