नई दिल्ली: रिलायंस जियो ने एजीआर को लेकर टेलीकॉम सेक्टर में तांडव मचा रखा है। देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी ने सरकार के टेलीकॉम कंपनियों को किसी भी प्रकार की सहायता ना देने का आग्रह किया है। जियो ने कहा है कि वोडाफोन - आइडिया और एयरटेल को बकाया चुकाने में राहत देना सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना होगी और इससे गड़बड़ी करने वाली कंपनियों में गलत परंपरा की शुरुआत होगी।
कोर्ट के आदेश के बाद भारती एयरटेल को लगभग 40 हजार करोड़ रुपए का बकाया चुकाना है। जियो ने 1 नवंबर और तीन नवंबर को लिखे अपने पत्र में कहा है कि एयरटेल 40 हजार रुपए का बकाया अपने कुछ एसेट्स या शेयर बेच कर चुका सकती है, जबकि वोडाफोन आइडिया के सरकार को बकाया चुकाने के लिए रिसोर्स की कोई कमी नहीं है।
जियो ने अपने पत्र में कहा , 'न्यायालय ने दूरसंचार सेवाप्रदाताओं की ओर से दिए गए सभी बेबुनियादी तर्कों को निष्पक्ष और स्पष्ट रूप से खारिज कर दिया है और कंपनियों को अपना बकाया चुकाने के लिए तीन महीने का पर्याप्त समय भी दिया है।' गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने एजीआर पर सरकार की दलील को स्वीकार करते हुए माना कि दूरसंचार समूह में उसे अन्य स्रोत से प्राप्त आय को समायोजित सकल आय (एजीआर) में शामिल किया जाना चाहिए। एजीआर का एक हिस्सा लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क के रूप में सरकारी खजाने में जाता है।
इस मामले में सीओएआई ने पत्र लिख सरकार से इन कंपनियों पर लगा बकाया पर लगा ब्याज, जुर्माना और जुर्माने पर ब्याज को माफ करने का आग्रह किया है। जबकि जियो ने इसका विरोध करते हुए कहा है कि इन कंपनियों के पास बकाया चुकाने के लिए पर्याप्त वित्तीय क्षमता है। रिलायंस जियो के रेगुलेटरी अफेयर के प्रेसिडेंट कपूर सिंह गुलियानी ने बताया, 'यदि एयरटेल अपने इंड्स टावर बिजनेस एसेट्स का छोटा हिस्सा बेच दे या 15 से 20 फीसदी नई इक्विटी जारी कर दे, तो वह आसानी से फंड इकट्ठा कर सकते हैं।'
वहीं वोडाफोन आइडिया के लिए उन्होंने कहा कि वोडाफोन इंडिया की भी इंड्स टावर में हिस्सेदारी है, इसलिए उनके पास भी बकाया चुकाने के लिए स्रोत की कमी नहीं है। बता दें कि एयरटेल टावर बिजनेस के तहत देश भर में 1,63,000 मोबाइल टावर ऑपरेट करती है।