हिंदू धर्म में सभी प्रकार की एकादशी का बेहद महत्व है। मगर देवउठनी एकादशी सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी के चार महीने बाद अपनी निंद्रा तोड़ कर जागते हैं। इस दिन शालीग्राम के साथ माता तुलसी का विवाह भी किया जाता है। शालिग्राम, विष्णु जी के प्रतिरूप हैं और विष्णु जी को तुलसी बेहद प्रिय हैं।
दोनों के विवाह का एक आध्यात्मित महत्व भी है जिसका अर्थ है कि तुलसी जी की पूजा के बिना शालिग्राम जी की पूजा नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही भक्त इस पावन दिन व्रत भी रखते हैं। इस बार देवउठनी एकादशी 8 नवंबर को है। ऐसे में व्रत रखते हुए कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिये। यहां जानें इस दिन क्या न करें...
देवउठनी एकादशी के दौरान भूलकर भी ना करें ये गलतियां
इन चीजों का अगर आप दिल से पालन करते हैं तो आपको पूरा लाभ मिलेगा।