नई दिल्ली। Numerology: ज्योतिषाचार्य सुजीत जी महाराज के अनुसार सफल दाम्पत्य जीवन के पीछे अंकों का ही खेल होता है। प्रेम विवाह की सफलता के पीछे भी अंकों का ही हिसाब किताब है। जो विवाह माता पिता या परिवार के लोग तय करते हैं उसमें प्रायः कुंडली मिलान की जाती है। कुंडली मिलान के अलावा दोनों के जन्मकुंडली के सप्तम , पंचम और लग्न का भी गहराई से अध्ययन आवश्यक है।
अंक ज्योतिष से भी मित्र ग्रहों के सम्मिलन का सुख है या नहीं इस पर विचार जरूरी है। अंक ज्योतिष से इस बिंदु पर विचार करते हैं कि आपके जीवन साथी का मूलांक तथा भाग्यांक आपके मूलांक तथा भाग्यांक का मित्र है कि नहीं। जन्मतिथि के अंकों का योगफल मूलांक कहलाता है। किसी व्यक्ति का भाग्यांक निकलने के लिये जन्म तिथि, समय तथा जन्मवर्ष को जोड़ते हैं। उदाहरण के लिए किसी जातक की जन्म तिथि अगर 10:09:1972 है। इस जातक का मूलांक 01 होगा। अब भाग्यांक निकालने के लिए पूरे को जोड़ेंगे। योग 38 आएगा। फिर जोड़ेंगे 11 पुनः फिर तो अंततः 2 आएगा।
अब इस जातक का मूलांक 1 सूर्य का अंक है। इसका भाग्यांक 2 चंद्रमा का अंक है। अब यदि इस जातक का जीवन साथी 8 मूलांक या भाग्यांक का होगा तो दाम्पत्य जीवन बहुत ही खराब होगा। 1 सूर्य तथा 8 शनि का अंक है। सूर्य तथा शनि आपस में शत्रुता रखते हैं। अतः 1 मूलांक के व्यक्ति को 1 , 2 या 3 मूलांक या भाग्यांक के व्यक्ति से विवाह करना चाहिए।
यदि जीवन साथी में दोनों के अंक में 1 से 09 तक के सभी अंक किसी न किसी रूप में आ जाते हैं तो ऐसे जातक विवाह के बाद खूब प्रगति करते हैं।
क्या करें यदि दाम्पत्य जीवन तनावपूर्ण हो-
यदि आपका दाम्पत्य जीवन तनावपूर्ण है तो सबसे पहले अपने अपने मूलांक के स्वामीग्रह के बीज मंत्र का जप कीजिये या निश्चित संख्या में जप कराइए। यदि जन्मांक व भाग्यांक दोनों शत्रु ग्रह हैं तो एक के जन्मांक व भाग्यांक के अनुसार दूसरे के नाम में परिवर्तन कर वही जन्मांक या भाग्यांक लाइए। इसके लिए लोग नाम में परिवर्तन भी करते हैं। नाम में कुछ स्पेलिंग के परिवर्तन से भी यह कार्य बन जाएगा। पति पत्नी अपने अपने भाग्यांक के स्वामीग्रह के इष्ट की नियमित पूजा करें। ऐसा करने से आपका दाम्पत्य जीवन बहुत ही सुखमय तथा आनंदमय रहेगा।