Haridwar Sapta Rishi: सप्त ऋषियों की तपस्या का गंगा से है नाता, जानिए तप के बाद कैसे बदल गई थी 'गंगा'

Haridwar Sapta Rishi: हरिद्वार में एक ऐसा स्थान है जहां पर सप्त ऋषियों ने एक साथ तपस्या की थी। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही थीं तो यहां सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे।

Haridwar Sapta Rishi related to Ganga
उत्तराखंड में हरिद्वार को देवभूमि कहा जाता है।  |  तस्वीर साभार: BCCL
मुख्य बातें
  • यह स्थान 'सप्त सरोवर या सप्त ऋषि कुंड' के नाम से भी जाना जाता है।
  • हरिद्वार में एक ऐसा स्थान है जहां पर सप्त ऋषियों ने एक साथ तपस्या की थी।
  • रिद्वार में हरकी पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है।

नई दिल्ली: उत्तराखंड में हरिद्वार को देवभूमि कहा जाता है। हरिद्वार नगरी को भगवान श्रीहरि (बद्रीनाथ) का द्वार माना जाता है जो गंगा नदी के तट पर स्थित है। कुंभ नगरी हरिद्वार में हरकी पौड़ी को ब्रह्मकुंड कहा जाता है। इसी घाट पर कुंभ का मेला लगता है। हरिद्वार के सप्त ऋषि आश्रम से एक पौराणिक मान्यता जुड़ी हुई है और ऐसा कहा जाता है कि तपस्या की वजह से गंगा नदी अलग अलग सात हिस्सों में बंट गई थी। 

हरिद्वार में एक ऐसा स्थान है जहां पर सप्त यानी सात ऋषियों ने एक साथ तपस्या की थी। माना जाता है कि जब गंगा नदी तेजी से बहती हुई आ रही थीं तो  उस समय यहां सात ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विघ्न नहीं डाला और खुद को को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे 'सप्‍त धारा' यानी सात धारा भी कहा जाता है।

सात ऋषियों की तपस्या स्थली

हरकी पौड़ी से 5 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान एक पौराणिक कथाओं के अनुसार यह आश्रम सात ऋषियों का आराधना स्थल था। वैदिक काल के ये प्रसिद्ध सात साधु थे- कश्यप, अत्री, वशिष्ठ, जमदग्नी, गौतम, विश्वामित्र एवं भारद्वाज। सप्त धारा को सप्त सागर नामक भी कहा जाता है जो सप्तऋषि आश्रम के पास है। यह स्थान 'सप्त सरोवर या सप्त ऋषि कुंड' के नाम से भी जाना जाता है। आगे चलकर ये सात धाराएं आपस में मिलकर एक सुंदर चैनल बनाती हैं जिसे नील धारा कहा जाता है।

हरिद्वार में 11 मार्च को पहला शाही स्नान

हरिद्वार कुंभ का 'शाही स्नान' 'महा शिवरात्रि' के अवसर पर 11 मार्च को होगा। संभावना यह भी जताई जा रही है कि कुंभ से पहले 11 फरवरी को मौनी अमावस्या, 12 फरवरी को फाल्गुन संक्रांति, 16 फरवरी को वसंत पंचमी, 19 फरवरी को आरोग्य रथ सप्तमी व 20 फरवरी को भीमाष्टमी का स्नान है। ऐसे में हरिद्वार जाने वाले ट्रेनों में भीड़ होने की संभावना है। गौरतलब है कि कोविड संक्रमण के मद्देनजर भारत सरकार ने भी दिशा निर्देश जारी किए हैं। इसमें भी ऐसी ही सलाह दी गई है।

कुंभ मेले को लेकर व्यापक तैयारी और इंतजाम

उत्तराखंड प्रशासन के मुताबिक श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए कुंभ मेले में जाने वाले श्रृद्धालु की बस व रेलवे स्टेशन पर थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी। कोविड महामारी को ध्यान में रखकर उत्तराखंड सरकार द्वारा बचाव के लिए आने वाले लोगों से सावधानियां बरतने के संबंध में दिशा निर्देश प्रसारित किए जा रहे हैं।

कुंभ मेला क्षेत्र की रेल से आने वाले यात्रियों के लिए थर्मल स्क्रीनिंग और आरटी-पीसीआर जांच की निगेटिव रिपोर्ट अनिवार्य करने के लिए राज्य सरकार ने रेलवे बोर्ड से भी अनुरोध किया है। 

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