​पत्‍नी की बेवफाई ने बना दिया बाग़ी ! UPSC छोड़ शख्‍स ने खोली चाय की दुकान, नाम रखा '498ए टी कैफे'​

498A Tea Cafe: पत्नियों की बेवफाई के किस्‍सों से इन दिनों सोशल मीडिया भरा पड़ा है। ऐसे में एक और शख्‍स की कहानी बड़ी वायरल हो रही है। जो पत्‍नी के ही शहर में चाय का स्‍टॉल खोलकर विरोध दर्ज करा रहा है। दावा है कि, पत्‍नी ने शख्‍स को दहेज उत्‍पीड़न के फर्जी में फंसाया जिसके बाद शख्‍स ने UPSC छोड़ टी स्‍टॉल खोल लिया और दुकान का नाम रखा- '498ए टी कैफे।' दुकान का स्‍लोगन है- 'जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता, चाय उबलती रहेगी।'

आइए जानते हैं क्या है पूरा माजरा
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​आइए जानते हैं क्‍या है पूरा माजरा:​

कैसे शुरू हुआ किस्सा
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​कैसे शुरू हुआ किस्‍सा​

मध्‍य प्रदेश के नीमच जिले के अठाना कस्‍बे के निवासी कृष्ण कुमार धाकड़ की शादी 2019 में राजस्थान के बारां जिले के अंता कस्बे में हुई थी। दावा है कि, 2022 में उनकी पत्नी अपने मायके चली गई और उसके बाद उनके खिलाफ दहेज उत्पीड़न (धारा 498ए) और हर्जाना (धारा 125) का मामला दर्ज करा दिया।

UPSC की तैयारी भी छोड़ी
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​UPSC की तैयारी भी छोड़ी​

केके बताते हैं कि, उन्हें भावनात्मक तनाव और वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ा और उन्होंने यूपीएससी की पढ़ाई छोड़ दी। कोर्ट की सुनवाई में शामिल होने के लिए नीमच से बारां तक 220 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी, जिससे वह कानूनी लड़ाई के चक्र में उलझ गए। डेढ़ महीने पैसे बचाकर, कुर्सियां और मेजें लगाकर और अपनी चाय की दुकान तैयार करने के लिए टेंट हाउस की सफाई करके बिताए।

पत्नी के शहर में खोला टी कैफे
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​पत्‍नी के शहर में खोला 'टी कैफे'​

अपनी परेशानी से निपटने के लिए केके ने ससुराल के शहर अंता में "498ए टी कैफे" खोला। 9 जून को उद्घाटन के दिन, हथकड़ी पहने केके ने घोषणा की, “जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता, चाय उबलती रहेगी।” कैफे में उनके इस नारे को खास स्‍थान दिया गया। उनका उद्देश्य जागरूकता बढ़ाना और उन पत्नियों से त्रस्‍त पुरुषों की आवाज़ को बल देना है जो उनकी तरह ही न्याय के बिना चल रही कानूनी लड़ाइयों और यात्रा के बोझ से जूझते हैं।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कैफे
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​सोशल मीडिया पर वायरल हुआ कैफे​

केके का 498ए टी कैफे सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। उनकी दुर्दशा से सहानुभूति रखने वाले कई लोगों ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। केके कहते हैं, 'मुझे इस तरह देखकर मेरी पत्नी को शांति मिलती होगी। अदालत में हमें सिर्फ़ तारीखें मिलती हैं, न्याय नहीं। इसलिए मैंने यहीं चाय बेचने और यहीं से अपनी कानूनी लड़ाई लड़ने का फ़ैसला किया है। लेकिन मैं हार नहीं मानूंगा।'

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