Ghatak Kaal Sarp Dosh: क्‍या है घातक काल सर्प दोष, कहां करता है सबसे ज्‍यादा वार, दंश झेल नहीं पाता आम इंसान

Ghatak Kaal Sarp Dosh Yog (घातक काल सर्प दोष योग): कुंडली में ग्रहों की दिशा व्यक्ति के जीवन से जुड़ी कई बातों को बताती है। मनुष्य के जन्म से लेकर मृत्यु तक कई सकारात्मक और नकारात्मक योग बनते हैं जिनमें से एक काल सर्प दोष भी है। चलिए जानते हैं घातक काल सर्प दोष योग के बारे में।

काल सर्प दोष
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काल सर्प दोष

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब कुंडली में राहु और केतु के बीच में सभी ग्रह आ जाते हैं तब काल सर्प दोष योग का निर्माण होता है। काल सर्प दोष को अत्यंत ही अशुभ योग माना जाता है। इससे व्यक्ति को कई प्रकार के संकट झेलने पड़ सकते हैं।

काल सर्प दोष योग के परिणाम
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काल सर्प दोष योग के पर‍िणाम

काल सर्प दोष को जातक की कुंडली में होना उसके व्यक्तिगत संकटों का संकेत हो सकता है। काल सर्प दोष के कारण मानसिक, शारीरिक, आर्थिक और पारिवारिक कष्ट हो सकते हैं। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में मुख्यतः ये काल सर्प दोष योग बन सकते हैं जिन्हें घातक माना जाता है।

कर्कोटक काल सर्प दोष
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कर्कोटक काल सर्प दोष

कुंडली के अष्टम भाव सें द्वितीय भाव के मध्य राहु- केतु या केतु- राहु के बीच सभी ग्रहों की स्थिति से कर्कोटक नामक काल सर्प योग बनता है। इस योग से ग्रस्त जातक की आयु कम हो सकती है। इस काल सर्प दोष से बीमारी, धन हानि और वाणी दोष संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

शंखचूड़ काल सर्प दोष
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शंखचूड़ काल सर्प दोष

नवम एवं तृतीया भावों के बीच राहु - केतु और केतु - राहु के बीच अन्य सातों ग्रह अगर मौजूद हो तो शंखचूड़ नामक काल सर्प योग बनता है। इस योग के कारण भाग्योदय में अवरोध, नौकरी में दिक्कतें, मुकदमे बाजी की परेशानियां जातक को झेलनी पड़ सकती हैं।

विषधर काल सर्प दोष
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विषधर काल सर्प दोष

जातक की कुंडली में जब ग्यारहवें से पांचवें भाव के बीच राहु और केतु के बीच में सभी ग्रह बैठे हों तो विषधर काल सर्प योग बनता है। इस दोष से परीक्षा में असफलता, संतान सुख में कमी और आर्थिक हानि हो सकती है।

शेषनाग काल सर्प दोष
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शेषनाग काल सर्प दोष

कुंडली के द्वादश से छठवें भाव में काल सर्प में जन्मे जातक की आंखें कमजोर हो सकती है। इससे पढ़ाई आदि में अत्यधिक कोशिशों के बाद भी सफलता प्राप्त नहीं हो पाती है। ये काल सर्प दोष कुछ समय तक कुंडली में रहता है।

वासुकी काल सर्प योग
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वासुकी काल सर्प योग

तृतीया से नवम भाव तक राहु केतु या केतु राहु के मध्य सभी ग्रह स्थित हों तो वासुकी काल सर्प योग होता है। इस योग से जातक को भाई और पिता के पक्ष से दि‍क्‍कतें मिल सकती हैं तथा उसके पराक्रम में कमी आ सकती है।

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