640 प्रकाश वर्ष दूर है नारकीय ग्रह! जहां होती है लोहे की बारिश; तापमान सुन आपके छूट जाएंगे पसीने

Hell Planet: ब्रह्मांड अनंत है और उसके तमाम रहस्यों को समझ पाना इंसानों क्या, खगोलविदों के बस के भी बाहर है। हालांकि, एडवांस टेलीस्कोप की मदद से खगोलविद लगातार ब्रह्मांड की गहराइयों में झांकने की कोशिश करते हैं। तभी तो अब तक 5200 से अधिक बाह्यग्रहों की खोज की है, जिनमें एक ऐसा विचित्र ग्रह भी शामिल है, जहां पर लोहे की बारिश होती है और उसे नारकीय ग्रह कहा जा सकता है। सुदूर अंतरिक्ष में मौजूद WASP-76 b नामक बाह्यग्रह को साल 2013 में खोजा गया था, लेकिन खगोलविद लगातार ऐसे ग्रहों को लेकर अध्ययन करते रहे हैं तो चलिए विस्तार से इसके बारे में समझते हैं।

खूंखार नारकीय ग्रह
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खूंखार 'नारकीय ग्रह'!

हम अनंत ब्रह्मांड में मौजूद असंख्य आकाशगंगाओं में से एक मिल्की वे के एक ग्रह पृथ्वी पर रहते हैं, लेकिन पृथ्वी से 640 प्रकाश वर्ष दूर एक ऐसा ग्रह मौजूद है, जहां का मौसम ऐसा विचित्र है कि उसके बारे में जानकर आपके पसीने छूट सकते हैं। दरअसल, हम बात कर रहे हैं WASP-76 b नामक बाह्यग्रह की। (फोटो साभार: Copilot AI Image)

हवा में लोहे की मात्रा ज्यादा
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हवा में लोहे की मात्रा ज्यादा

WASP-76 b का मौसम बेहद विचित्र है और शोधकर्ताओं ने पाया कि हवा में आयरन की मात्रा ज्यादा है। इसी मौसम की वजह से इसे 'नारकीय ग्रह' कहा जा रहा है। WASP-76 b पृथ्वी से लगभग 640 प्रकाश वर्ष दूर मीन तारामंडल में स्थित है। इसे साल 2013 में खोजा गया था। (फोटो साभार: Copilot AI Image)

मौत का तांडव
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मौत का तांडव!

WASP-76 b नामक बाह्यग्रह सबसे चरम ग्रहों में से एक है। जिसका दिन के समय तापमान 2,000 डिग्री से अधिक होता है, यहां पर तो गलती से भी इंसान जिंदा नहीं सकता है। दरअसल, मानव शरीर के लिए 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान सहन कर पाना काफी मुश्किल होता है और हम बात 2000 डिग्री सेल्सियस की कर रहे हैं।

लोहे की होती है बारिश
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लोहे की होती है बारिश

WASP-76 b का मौसम बेहद विचित्र है और शोधकर्ताओं ने पाया कि हवा में आयरन की मात्रा ज्यादा है। इसी मौसम की वजह से इसे 'नरक ग्रह' कहा जा रहा है। हालांकि, खगोलविद लगातार अध्ययन में जुटे हुए हैं। यहां पर कई बार इंद्रधनुष भी देखा जा चुका है। (फोटो साभार: Copilot AI Image)

किसे कहते हैं बाह्यग्रह
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किसे कहते हैं बाह्यग्रह?

हमारे सौरमंडल के बाहर मौजूद ग्रहों को बाह्यग्रह या एक्सोप्लैनेट कहा जाता है। यह तमाम ग्रह अपने तारों की परिक्रमा करते हैं, इनका हमारे सूर्य से कोई लेना देना नहीं होता है। 90 के दशक में पहली बार बाह्यग्रह की खोज हुई थी और तब से लेकर अब तक 5200 से अधिक बाह्यग्रह खोजे जा चुके हैं।

किसकी परिक्रमा करता है नारकीय ग्रह
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किसकी परिक्रमा करता है 'नारकीय ग्रह'

WASP-76 b एक गैसीय ग्रह है, जो एफ टाइप के तारे की परिक्रमा करता है। WASP-76 b को अपने तारे की एक परिक्रमा करने में 1.8 दिन लगते हैं। WASP-76 b हमारे बृहस्पति के जितना ही विशालकाय है, लेकिन इसकी चौड़ाई लगभग दोगुनी है।

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