165 साल में एक बार सूर्य की लगा पाता है परिक्रमा; God of Sea में पानी नहीं, हीरे की होती है बारिश
God of Sea: हमारे सौरमंडल में मौजूद 8 ग्रहों में एक ऐसा ग्रह है, जहां पर तीव्र हवाओं के साथ ही 40 साल तक एक जैसा मौसम रहता है। इस ग्रह को हम नेपच्यून या वरुण के नाम से जानते हैं। यह सौरमंडल का चौथा सबसे बड़ा ग्रह है, जिसे God of Sea के नाम से भी जाना जाता है। सूर्य से इसकी दूरी 449.6 करोड़ किमी दूर है। इसका व्यास लगभग 49424 किमी तथा इसका औसत घनत्व 1.64 ग्राम प्रति घन सेमी है। गॉड ऑफ सी हमारे सौरमंडल में स्थित दो 'बर्फीले दानवों' में से एक है।

बर्फीला दानव
नेपच्यून एक बर्फीला दानव है और उसे सूर्य की एक परिक्रमा करने में 165 साल का समय लगता है, लेकिन पृथ्वी की तुलना में नेपच्यून अपनी धुरी में तेजी से घूमता है। इस वजह से नेपच्यून पर एक दिन महज 16 घंटों का होता है। (फोटो साभार: Copilot AI)

कब हुई थी नेपच्यून की खोज?
खगोलविदों ने नेपच्यून की खोज 1846 में की थी। लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, नेपच्यून नंगी आंखों से नहीं देखा जा सकता है, लेकिन खगोलविदों ने टेलीस्कोप की मदद से इस ग्रह के अस्तित्व की पुष्टि की थी। बकौल नासा, खगोलविदों ने पहले 1612 की शुरुआत में टेलीस्कोप की मदद से नेपच्यून को देखा था, लेकिन इसे ग्रह के रूप में पहचाना नहीं था।

नेपच्यून तक पहुंचने में कितना समय लगेगा?
नेपच्यून तक अभी महज एक ही स्पेसक्राफ्ट पहुंचा है, जिसे हम वॉयजर-2 के नाम से जानते हैं। नासा के इस स्पेसक्राफ्ट को गॉड ऑफ सी तक पहुंचने में 12 साल लग गए। इस यान ने 68,000 किमी प्रति घंटे की औसत रफ्तार से यात्रा की।

कितना ठंडा है नेपच्यून?
नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम के मुताबिक, नेपच्यून के वायुमंडल में तापमान माइनस 225 डिग्री सेल्सियत के आसपास है। यूरेनस की तुलना में सूर्य से दूर होने की वजह से नेपच्यून ज्यादा ठंड हो सकता है, लेकिन ऐसा नहीं है। यूरेनस और नेपच्यून दोनों का तापमान लगभग एक समान है।

तीव्र हवाओं का संसार
नेपच्यून में सौरमंडल की सबसे तेज हवाएं चलती हैं, जो लगभग 1930 किमी प्रति घंटे तक पहुंच सकती हैं। नेपच्यून पर हर मौसम लगभग 40 साल तक रहता है।

किससे बना है नेपच्यून?
नासा के मुताबिक, नेपच्यून में पानी, अमोनिया और मीथेन की भरमार है और इसके ठंडे बादलों के नीचे एक 'सुपर हॉट' महासागर छिपा हो सकता है। इस ग्रह की कोई ठोस सतह नहीं है। यूरेनस के साथ नेपच्यून भी एक बर्फीला विशालकाय दानव है।

हीरे की बारिश
नेपच्यून और यूरेनस 'हीरे की बारिश' के लिए जाने जाते हैं। जब इन ग्रहों पर मीथेन का दबाव पड़ता है तो हाइड्रोजन और कार्बन के बॉन्ड टूटते हैं जिसकी वजह से कार्बन हीरे में तब्दील हो जाता है और फिर हीरे की बरसात होती है। (फोटो साभार: Copilot AI)

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