टाइटेनिक के यात्री के खत में ऐसा क्या कि कीमत लग गई 3 करोड़ से ज्यादा; खरीददार को भी कोई नहीं जानता
Colonel Archibald Gracie Letter: कभी सोचा है कि एक खत की भी कीमत लगभग साढ़े तीन करोड़ हो सकती है। नहीं न, लेकिन ये सच है। टाइटेनिक के एक यात्री का लेटर 3.41 करोड़ रुपये में बिका है। वो भी जिसने खरीदा है, उसका नाम-पता किसी को नही पता है। मतलब टाइटेनिक के यात्री का एक खत, जिसे 3.41 करोड़ रुपये में खरीदा गया, उसका खरीददार एक अज्ञात है।

कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी का है ये पत्र
टाइटैनिक के एक यात्री का लिखा पत्र ब्रिटेन की एक नीलामी में रिकॉर्ड ₹3.41 करोड़ (£300,000) में बिका। कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी के पत्र को रविवार को विल्टशायर के हेनरी एल्ड्रिज एंड सन नीलामी घर में एक अज्ञात खरीदार ने खरीदा।

कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी के पत्र में क्या
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह पत्र 60,000 पाउंड की अनुमानित कीमत से पांच गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया। इस पत्र को 'भविष्यसूचक' कहा जाता है। दरअसल इसमें कर्नल ग्रेसी एक परिचित से कहते है कि वह 'अच्छे जहाज' पर फैसला देने से पहले 'अपनी यात्रा के अंत की प्रतीक्षा करेंगे।'

कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी ने कब लिखा था ये खत
कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी ने यह पत्र 10 अप्रैल 1912 को लिखा गया, जिस दिन वह साउथेम्प्टन में टाइटैनिक पर चढ़े थे, उत्तरी अटलांटिक में एक हिमखंड से टकराकर जहाज के डूबने से पांच दिन पहले।

न्यूयॉर्क जा रहे थे कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी
कर्नल ग्रेसी न्यूयॉर्क जा रहे टाइटैनिक जहाज पर सवार लगभग 2,200 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से एक थे। इस दुर्घटना में 1,500 से अधिक लोग मारे गए थे।

कहां से कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी ने खत किया था पोस्ट
फर्स्ट क्लास के यात्री ने केबिन सी51 से यह पत्र लिखा था। यह पत्र 11 अप्रैल 1912 को आयरलैंड के क्वीन्सटाउन में जहाज के डॉक किए जाने पर पोस्ट किया गया। इस पर 12 अप्रैल की लंदन की पोस्टमार्किंग भी थी।

टाइटेनिक हादसे में बच गए थे कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी
नीलामी में मदद करने वाले नीलामीकर्ता ने कहा कि इस पत्र की कीमत टाइटैनिक पर लिखे किसी भी पत्र से अधिक है। कर्नल ग्रेसी ने बाद में 'द ट्रुथ अबाउट द टाइटैनिक' नाम से एक किताब लिखी, जिसमें उन्होंने समुद्री जहाज पर अपने अनुभव को याद किया। इसमें उन्होंने बताया कि कैसे वे बर्फीले पानी में पलटी हुई लाइफबोट पर चढ़कर बच गए। उनके मुताबिक लाइफबोट पर पहुंचने वाले आधे से अधिक लोग थकावट या ठंड से मर गए।

1912 में हुई थी कर्नल आर्चीबाल्ड ग्रेसी की मौत
हालंकि कर्नल ग्रेसी इस आपदा से बच गए, लेकिन हाइपोथर्मिया और चोटों के कारण उनका स्वास्थ्य बुरी तरह प्रभावित हुआ। 2 दिसंबर 1912 को वे कोमा में चले गए और दो दिन बाद मधुमेह की जटिलताओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
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