मुंबई-पुणे के बीच बन रहा नया एलिवेटेड कॉरिडोर, हवा से करेंगे बातें, सफर में आ जाएगी मौज

​​New Elevated Corridor to Boost Mumbai-Pune Connectivity: मुंबई महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (MMRDA) ने ऐलान किया है कि मुंबई ट्रांस हार्बर लिंक (एमटीएचएल) और मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के बीच नया एलिवेटेड कॉरिडोर बनेगा। इसके बनने के बाद इन रूट्स के यात्रियों को जबरदस्त फायदा होगा। यह प्रोजेक्ट फरवरी 2027 तक पूरा हो जाएगा। इससे मुंबई-पुणे के बीच कनेक्टिविटी में बहुत सुधार होगा और इन शहरों में नौकरी करना आसान होगा। क्या होंगी इस प्रोजेक्ट की खासियतें और किसे-किसे फायदा होगा जानते हैं।

1100 करोड़ रुपये की लागत
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1,100 करोड़ रुपये की लागत

इस प्रोजेक्ट की लागत 1,100 करोड़ रुपये होगी। इस परियोजना में दो एलिवेटेड कॉरिडोर शामिल हैं। एक पलासपे फाटा को मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे से जोड़ेगा। दूसरा एमटीएचएल के आखिर में चिरले से गवन फाटा तक जाएगा। चिरले और गवन फाटा के बीच का कॉरिडोर जेएनपीटी-पनवेल राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-348) के ऊपर बनाया गया छह लेन का ढांचा होगा।

NH-348 पर वाहनों की भीड़ कम होगी
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NH-348 पर वाहनों की भीड़ कम होगी

रायगढ़ जिले में पुराने मुंबई-पुणे राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-48) से लगता हुआ एक और छह लेन का एलिवेटेड कॉरिडोर बनाया जाएगा। इसे भी छह लेन चौड़ा किया जाएगा। इस परियोजना से कनेक्टिविटी में और सुधार होगा और एनएच-348 पर वाहनों की भीड़ कम होगी। (iStock)

कनेक्टिविटी में और सुधार होगा
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कनेक्टिविटी में और सुधार होगा

दरअसल, इस राजमार्ग पर जेएनपीटी से भारी मल्टी-एक्सल कंटेनर का यातायात होता है जिसकी वजह से यहां भारी ट्रैफिक रहता है। इस प्रोजेक्ट से प्रमुख जंक्शनों पर भीड़ कम होगी और अटल सेतु और मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे के बीच कनेक्टिविटी में और सुधार होगा।

पुणे में रहना और मुंबई में काम करना होगा आसान
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पुणे में रहना और मुंबई में काम करना होगा आसान

इस परियोजना को गवार कंस्ट्रक्शन लिमिटेड द्वारा 1,102.75 करोड़ रुपये की लागत से बना रही है। खुदाई का काम पहले से ही चल रहा है। एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त डॉ. संजय मुखर्जी ने कहा कि यह परियोजना पेशेवरों के लिए दैनिक यात्रा में सुधार लाएगी, जिससे पुणे में रहना और मुंबई में काम करना आसान हो जाएगा।

आसान होगी यात्रा आर्थिक विकास को मिलेगी गति
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आसान होगी यात्रा, आर्थिक विकास को मिलेगी गति

प्रोजेक्ट पूरा होने पर दोनों गलियारों की कुल लंबाई चिरले खंड में 4,958 मीटर और पलास्पे खंड में 1,700 मीटर होगी, जिससे यात्रा आसान और सुगम होगी और इस क्षेत्र में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।