5 दशक बाद पूर्वोत्तर के इस एयरपोर्ट को एक्टिवेट करना जा रहा भारत? बांग्लादेश की बढ़ेगी बेचैनी

Kailashahar airport in Tripura : भारत त्रिपुरा के अपने एयरबेस कैलाशहर को एक बार फिर संचालन के योग्य बनाने जा रहा है। यह एयरपोर्ट 1971 के युद्ध के बाद से बंद है। भारतीय वायु सेना (IAF) ने 1971 के युद्ध में इस एयरपोर्ट का इस्तेमाल मिशन अंजाम देने और निगरानी में किया था। रिपोर्टों में कहा गया है कि इसका इस्तेमाल दोहरे एयरपोर्ट के रूप में होगा यानी जरूरत पड़ने पर यहां से लड़ाकू विमान भी उड़ान भर सकेंगे।

बांग्लादेश की वायु सेना का जन्म हुआ
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बांग्लादेश की वायु सेना का जन्म हुआ

खास बात यह है कि बांग्लादेश की वायु सेना का इतिहास भी इस एयरपोर्ट से जुड़ा है। इसी कैलाशहर एयरपोर्ट पर बांग्लादेश की वायु सेना का जन्म हुआ। भारतीय वायु सेना के ऑपरेशनल कमान के तहत बांग्लादेश वायु सेना की पहली यूनिट किलो फाइट ने पहली बार यहीं से उड़ान भरी।

हिंट एंड रन ऑपरेशन किए
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​हिंट एंड रन ऑपरेशन किए

इसी एयरबेस से किलो फ्लाइट टीम ने फ्रांस निर्मित अलाउटे II हेलिकॉप्टर और कनाडा के डीएचसी-3 ओटेर विमानों से सेना पर हिंट एंड रन ऑपरेशन किए।

लंबे समय से है बंंद
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लंबे समय से है बंंद

मंगलवार को त्रिपुरा के परिवाहन एवं पर्यटन मंत्री सुशांता चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि उनाकोटी जिले में स्थित कैलाशहर एयरपोर्ट लंबे समय से बंद पड़ा है। सरकार इसे दोबारा चालू करने के बारे में कदम उठा सकती है।

बांग्लादेश पर बढ़ेगा दबाव
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बांग्लादेश पर बढ़ेगा दबाव

ध्यान देने वाली बात यह है कि कैलाशहर एयरपोर्ट को दोबारा शुरू करने की बात ऐसे समय हो रही है जब ऐसी चर्चा है कि बांग्लादेश अपने बंद पड़े लालमोनिरहाट एयरपोर्ट दोबारा चालू करने के लिए चीन को सौंपने की तैयारी कर रहा है।

सिलीगुड़ी कॉरीडोर के करीब
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सिलीगुड़ी कॉरीडोर के करीब

यह एयरपोर्ट भारत के चिकन नेक यानी सिलीगुड़ी कॉरीडोर के करीब है। चीन अगर इस एयरपोर्ट पर आता है तो इससे भारते के रणनीतिक हितों को चुनौती पेश होगी।

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