राहत इंदौरी के 10 मशहूर शेर: दोस्ती जब किसी से की जाए, तो दुश्मनों की भी राय ली जाए

Rahat Indori Shayari in Hindi: राहत इंदौरी की शायरी में प्रेम, बगावत और सामाजिक मुद्दों की गहरी छाप थी। उनके शेर, जैसे "आंख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो", युवाओं को प्रेरित करते थे। उनकी दमदार आवाज़ और बेबाक अंदाज़ ने मुशायरों में उन्हें खास पहचान दी। राहत की शायरी में हिंदुस्तानी तहज़ीब और सामाजिक जागरूकता झलकती थी। वे व्यवस्था पर तंज कसने से नहीं हिचकते थे। आइए पढ़ते हैं राहत इंदौरी के 10 मशहूर शेर:

राहत इंदौरी की शायरी
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राहत इंदौरी की शायरी

तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा, मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा

सूरज सितारे चांद मिरे साथ में रहे जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे
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सूरज सितारे चांद मिरे साथ में रहे, जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे

हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं
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हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं, मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं

न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा
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न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा, हमारे पांव का कांटा हमीं से निकलेगा

शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
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शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम, आंधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे

हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
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हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे, कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

नए किरदार आते जा रहे हैं मगर नाटक पुराना चल रहा है
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नए किरदार आते जा रहे हैं, मगर नाटक पुराना चल रहा है

बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं
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बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है
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रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चांद पागल है अंधेरे में निकल पड़ता है

वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
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वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा, मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया

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