सेहत से संस्कार तक, गांव में छुट्टियां बिता रहे बच्चों के पेरेंट्स जरूर ध्यान रखें ये बातें

शहरों में रहने वाले बहुत से पेरेंट्स बच्चों को छुट्टियों में गांव ले जाते हैं। गर्मियों की छुट्टियां बच्चों के लिए मौज-मस्ती, सीखने और अपनों के साथ समय बिताने का बेहतरीन अवसर होती हैं। अगर आप अपने बच्चों को इन छुट्टियों में गांव लेकर आए हैं, तो यह अनुभव उनके जीवन के सबसे यादगार पलों में से एक बन सकता है।

गांव में बीत रही बच्चों की छुट्टियां तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें पेरेंट्स
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​गांव में बीत रही बच्चों की छुट्टियां तो इन बातों का जरूर ध्यान रखें पेरेंट्स

गांव बच्चों को उनकी जड़ों से जोड़ता है। वहां वह खुद को प्रकृति के काफी करीब पाते हैं। शहरों में जहां बच्चों के पास खेलने और एक्सप्लोर करने की जगह की कमी होती है वहीं गांव में बच्चों को खुला आसमान मिलता है। गांव में बच्चों को बात करने के लिए दादा-दादी के साथ ही ना जाने कितने ही रिश्ते उपलब्ध होते हैं। बुजुर्गों के साथ रहकर वे कहानियों, पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों की अहमियत समझते हैं। हालांकि, इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है ताकि छुट्टियां सुरक्षित और उपयोगी बनें।

स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें
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​स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें​

गांव की मिट्टी, पानी और मौसम शहर से अलग हो सकता है। बच्चों को उबला पानी दें और बाहर खाने-पीने से परहेज कराएं। मच्छरों से बचाव के लिए क्रीम या मच्छरदानी का उपयोग करें।

प्राकृतिक जीवन से जोड़ें
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​प्राकृतिक जीवन से जोड़ें​

बच्चों को खेत-खलिहान दिखाएं, पेड़-पौधों के नाम सिखाएं, पशुओं की देखभाल में शामिल करें। यह उन्हें प्रकृति से जुड़ाव सिखाएगा और जमीनी ज्ञान देगा।

परिवार से सीखने दें
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​परिवार से सीखने दें​

गांव में दादी-नानी, ताऊ-चाचा जैसे संयुक्त परिवार के सदस्य होते हैं। बच्चों को उनके साथ समय बिताने दें, उनके अनुभवों से सीखने दें और रिश्तों का महत्व समझाएं।

छुट्टियों को सीख में बदलें
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​छुट्टियों को सीख में बदलें​

गांव का जीवन बच्चों के लिए कई सबक लेकर आता है, जैसे आत्मनिर्भरता, सहयोग, मेहनत और अनुशासन। कोशिश करें कि छुट्टियां केवल मौज-मस्ती न होकर सीखने का जरिया भी बनें।

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