Lucknow-Kanpur Expressway: गले मिलने को तैयार मैनचेस्टर-राजधानी, खुलने वाला है 63KM लंबा एक्सप्रेसवे; 120 की रफ्तार भागेंगी गाड़ियां

Kanpur-Lucknow Expressway: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और कानपुर को कनेक्टि करने के लिए 63 किमी. लंबा ग्रीनफील्ड-एलिवेटेड एक्सप्रेसवे बनाया जा रहा है। इस एक्सप्रेसवे के खुलने से दोनों शहरों के बीच 35 से 40 मिनट में सफर पूरा होगा। आइये जानते हैं हाईटेक सड़क मार्ग का कितना काम हुआ और यह कब तक यातायात के लिए खुलेगा?

कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना
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​कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना​

उत्तर प्रदेश में मौजूदा समय में 15 से अधिक एक्सप्रेसवे हैं, जिनमें से कई संचालित हैं और कईयों का निर्माण कार्य जारी है। इनमें से , आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (Agra- Lucknow Expressway), पूर्वांचल एक्सप्रेसवे ( Purvanchal Expressway), बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे ( Bundelkhand Expressway) और यमुना एक्सप्रेसवे (Yamuna Expressway) जैसे कुछ सड़क मार्गों पर यातायात संचालित हैं, जबकि प्रदेश का सबसे लंबा गंगा एक्सप्रेसवे (Ganga Expressway) अपने निर्माण के आखिरी दौर में हैं। लेकिन, जिस सड़क मार्ग के खुलने का सभी को इंतजार है वो कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे है।

कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे यात्रा समय
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​कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे यात्रा समय​

सीधे तौर पर प्रदेश के तीन जिलों को कनेक्ट करने वाले कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना के पूरे होने से 2 से 3 घंटे का सफर महज 35 से 40 मिनट में पूरा होगा। मौजूदा वक्त में 75 किमी. लंबे कानपुर-लखनऊ नेशनल हाईवे (NH-27) पर वाहनों का भारी दबाव है। यही कारण है कि इन दो शहरों के आपस में पहुंचने में 3 से 4 घंटे का वक्त सड़क पर गुजर जाता है।

NH-27 पर क्यों लगता है जाम
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​NH-27 पर क्यों लगता है जाम?​

बुंदेलखंड की नदियों से निकलने वाली मौरंग और कबरई (महोबा) क्षेत्र से गिट्टी से लदे ट्रकों की आवाजाही के कारण अक्सर जाम का झाम झेलना पड़ता है। हमीरपुर से मौरंग की बड़ी खेप लेकर ट्रक और डंपर इत्यादि वाहन इसी हाईवे से उन्नाव, रायबरेली, हरदोई, लखनऊ, सीतापुर, अमेठी, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, सुलतानपुर और अयोध्या समेत कई जिलों में प्रवेश करते हैं। लिहाजा, अक्सर कानपुर से लखनऊ के बीच जाम की स्थिति होती है। कभी-कभार 4 घंटे से भी अधिक लंबे जाम का भी सामना करना पड़ता है।

कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे का कितना काम हुआ
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​कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे का कितना काम हुआ?​

फिलहाल, की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे का 90 फीसदी के आसपास सिविल कार्य पूरा कर लिया गया है। माना जा रहा है इसी साल लोगों को आरामदायक सफर का आनंद मिलेगा। 63 किमी. लंबे एक्सप्रेसवे का काम दो पैकेज में बांटकर किया जा रहा है। इसका 18 किलोमीटर हिस्सा एलिविटेड रहेगा। कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे को उद्योग पथ एक्सप्रेसवे (कानपुर रिंग रोड) से भी जोड़ा जाएगा। यह उन्नाव में गंगा एक्सप्रेसवे और लखनऊ की बाहरी रिंग रोड से भी कनेक्ट होगाय़ इसका निर्माण इसी साल जुलाई तक पूरा होने के कयास लग रहे हैं।

कानपुर-लखनऊ की लागत कितनी
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​कानपुर-लखनऊ की लागत कितनी?​

2022 में शुरू हुई यह परियोजना लखनऊ के शहीद पथ से शुरू होकर उन्नाव के आजाद चौराहे पर खत्म होती है। फिलहाल, इसे 6 लेन में तैयार किया जा रहा है, लेकिन भविष्य में वाहनों के बोझ को देखते हुए इसको विस्तार देकर 8 लेन का भी किया जा सकता है। एनएचएआई के हवाले से एक्सप्रेसवे के काम को दो पैकेज में किया जा रहा है। इसका पहला पैकेज 18 किलोमीटर जो लखनऊ में है और दूसरा 45 किलोमीटर लंबा पैकेज उन्नाव जिले के हिस्से में है। इस परियोजना में लखनऊ जिले के 11 शहर और उन्नाव जिले के 31 गांव शामिल हैं। परियोजना की लागत- 4700 करोड़ रुपये है।

कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे रूट मैप
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​कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे रूट मैप​

एक्सप्रेसवे पर लखनऊ के अलावा उन्नाव के आजाद चौराहे पर एंट्री-एग्जिट मिलेगी। उधर, लालगंज (रायबरेली)-उन्नाव रोड से भी लोग एक्सप्रेसवे पर आ जा सकेंगे। एंट्री-एग्जिट प्वाइंट पर टॉल प्लाजा पर प्रशासनिक भवन इमारतें बनेंगी। यहां यात्रियों की सुविधाओं के लिए रेस्टोरेंट और शौचालय इत्यादि की व्यवस्था की होगी। एनएचएआई के दावे के मुताबिक, एक्सप्रेसवे 100 से 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने के लिहाज से विकसित किया जा रहा है। ऐसे में दोनों शहरों के बीच 63 किलोमीटर के सफर को तय करने में 35 मिनट ही लगेंगे।

भारत माला परियोजना के लाभ
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​भारत माला परियोजना के लाभ​

भारत माला परियोजना (Bharat Mala Project) के तहत विकसित हो रहे एक्सप्रेसवे के विकास से आसपास आर्थिक विकास को पहिए लगेंगे। सरकार इस प्रकार के एक्सप्रसेवे के पास औद्योगिक शहर बसाने का प्लान कर रही है, जिससे बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होगा। इससे अलावा रियल स्टेट सेक्टर को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा एक्सप्रेसवे के किनारे नए होटल और रेस्टोरेंट खुलने से लोगों रोजगार और बेहतर सुविधाएं भी मिलेंगी। लखनऊ और कानपुर एयरपोर्ट पहुंचना भी आसान होगा।

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