3 राज्य 7 जिले 30 स्टेशन! बिछने वाली है 318 KM लंबी रेल लाइन; पटरियों के डबलिंग से फर्राटा भरेंगी ट्रेनें

झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के सात जिलों तक रेल कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने की दिशा में रेलवे ने पहल की है। सरकार ने कोडरमा-बरकाकाना रूट (133) किमी. और बेल्लारी-चिकजाजुर रूट के दोहरीकरण परियोजना को मंजूरी दी है। इस मल्टीट्रैकिंग परियोजना से 3 राज्यों के सात जिलों को सीधी कनेक्टिविटि मिलेगी। इसके परियोजना से हजारों की संख्या में गांव और करीब 15 लाख से अधिक आबादी को फायदा होगा। इन दोनों परियोजनाओं को विकसित करने के लिए सरकार 6,405 करोड़ खर्च करेगी। आइये जानते हैं इस रूट पर कौन-कौन से जिले आते हैं और इसका कार्य कब शुरू होगा?

मल्टी ट्रैकिंग रेल पटरियां
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​मल्टी ट्रैकिंग रेल पटरियां​

भारतीय रेलवे ट्रेनों की गति और रेल यातायात को सरल बनाने के लिए कई परियोजनाओं को धरातल पर उतार रही है। इनमें कुछ नए ट्रैक हैं तो कई रूटों पर मल्टी ट्रैकिंग या दोहरीकरण का प्लान बना रही है। अब रेलवे ने दो झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश को कनेक्टिविटी देने वाले 2 मल्टी ट्रैकिंग प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। स्वीकृत दोनों मल्टी-ट्रैकिंग परियोजना से लगभग 1,408 गांवों तक रेल संपर्क बढ़ेगा। संबंधित गांवों की कुल आबादी लगभग 28.19 लाख को सीधा फायदा मिलेगा।

3 राज्यों तक रेल लाइन डबलिंग
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3 राज्यों तक रेल लाइन डबलिंग

रेल मंत्रालय ने झारखंड, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश राज्यों के सात जिलों को लाभ पहुंचाने वाली कोडरमा-बरकाकाना और बेल्लारी-चिकजाजुर रूट के पटरियों के दोहरीकरण परियोजना को मंजूरी दी है। ये महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क को लगभग 318 किलोमीटर तक बढ़ा देंगी। ये मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव रेलवे परिचालन को सुव्यवस्थित करने और भीड़भाड़ को कम करने के लिए तैयार किए गए हैं। सरकार का दावा है कि स्थानीय लोगों को विकास के जरिये आत्मनिर्भर बनाएगी और उनके लिए रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

कोडरमा-बरकाकाना मल्ट्री ट्रैकिंग प्रोजेक्ट
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​कोडरमा-बरकाकाना मल्ट्री ट्रैकिंग प्रोजेक्ट​

कोडरमा-बरकाकाना रूट के 133 किलोमीटर तक दोहरीकरण प्रोजेक्ट के लिए 3,063 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना। इस परियोजना से कोडरमा, चतरा, हजारीबाग और रामगढ़ जिले कनेक्ट होंगे। इस रूट के आसपास 938 गांव पड़ रहे हैं, जहां निवास कर रही करीब 15 लाख आबादी को सीधा लाभ मिलेगा। यह पटना और रांची के बीच की छोटी लाइन है। इस परियोजना से क्षेत्रीय और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

बेल्लारी-चिकजाजुर दोहरीकरण प्रोजेक्ट
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​बेल्लारी-चिकजाजुर दोहरीकरण प्रोजेक्ट​

बेल्लारी-चिकजाजुर दोहरीकरण प्रोजेक्ट 185 किलोमीटर लंबा है और इसकी लागत 3,342 करोड़ रुपये है। यह ट्रैक कर्नाटक के बेल्लारी एवं चित्रदुर्ग जिलों और आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले से होकर गुजरता है। यह रूट मंगलौर बंदरगाह के साथ आंतरिक इलाकों को भी जोड़ेगा। मंगलौर की रेलवे कनेक्टिविटी में सुधार के लिए एक मास्टर प्लान बना भी बन रहा है। यह 29 प्रमुख पुलों वाली एक जटिल परियोजना है। इससे लगभग 13 लाख की आबादी को लाभ होगा। इस रूट के दोहरीकरण से स्थानीय ट्रेनों के साथ एक्सप्रेस गाड़ियों को बढ़ावा मिलेगा, जिससे व्यापारिक गतिविधियों के साथ यात्रा भी सहज होगी।

बेल्लारी-चिकजाजुर के स्टेशन
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​बेल्लारी-चिकजाजुर के स्टेशन​

बेल्लारी-चिकजाजुर रूट पर बेल्लारी जंक्शन, बेल्लारी कैंट, हद्दिनगुंडु, बन्नी कोप्पा, भाणापुर, गिंगिगेरा जंक्शन, होसपेट जंक्शन, गादिगनूरु, मुनिराबाद, सोमालपुरम, चिन्नेकुंतपल्ली और डुरोजी स्टेशन शामिल हैं।

कोडरमा-बरकाकाना रेल रूट के स्टेशन
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​कोडरमा-बरकाकाना रेल रूट के स्टेशन​

वहीं, कोडरमा-बरकाकाना रेल रूट पर अरगडा, कुजू, मांड हाल्ट, चरही, बेस, हजारीबाग टाउन, कंसार नवादा, कटकमसांडी, कथौटिया, कुरहागाड़ा, पदमा, उरवान और पिपराडीह इत्यादि स्टेशन शामिल हैं। लिहाजा, इन दोनों रूटों के डबलिंग से यात्रा काफी आसान हो जाएगी। कोडरमा-बरकाकाना दोहरीकरण और बेल्लारी-चिकजाजुर दोहरीकरण प्रोजेक्ट दोनों ही आर्थिक और कनेक्टिविटी के हिसाब से बेहद महत्वपूर्ण हैं। कोडरमा-बरकाकाना ट्रैक न केवल झारखंड के एक प्रमुख कोयला उत्पादक क्षेत्र से होकर गुजरता है, बल्कि पटना एवं रांची के बीच का सबसे छोटा और अधिक सक्षम रेल संपर्क मार्ग भी है। दोनों परियोजनाओं को विकसित करने के लिए सरकार 6,405 करोड़ खर्च करेगी।

रेल लाइन के डबलिंग से फायदे
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रेल लाइन के डबलिंग से फायदे

कोडरमा-बरकाकाना और बेल्लारी-चिकजाजुर रेल मार्ग कोयला, लौह अयस्क, तैयार इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, कृषि एवं पेट्रोलियम उत्पादों जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए आवश्यक हैं। इनकी क्षमता में वृद्धि से 4.9 करोड़ टन प्रति वर्ष की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे लाइन की बढ़ी हुई क्षमता परिवहन को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी, जिससे भारतीय रेलवे की परिचालन दक्षता और सेवा विश्वसनीयता बेहतर होगी। ये परियोजनाएं देश की लॉजिस्टिक लागत को कम करने, तेल आयात में 52 करोड़ लीटर की कमी लाने और कार्बन डाई ऑक्साइड उत्सर्जन में 264 करोड़ किलोग्राम की कटौती करने में मदद करेंगी, जो 11 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है। ये न सिर्फ परिवहन को बढ़ावा देंगी, बल्कि क्षेत्रीय विकास में काफी अहम भूमिका निभाएंगी।

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