Bael: भारत के किस राज्य में होता है सबसे ज्यादा बेल? ये 5 राज्य करते हैं 99% उत्पादन
Bael Production States: गर्मियों में बेल का शरबत लू से बचाव में मदद करता है और शरीर को ठंडा रखता है। बेल का उपयोग आयुर्वेद में एक महत्वपूर्ण औषधि के तौर पर भी किया जाता है। इसके फल, पत्ते, छाल का इस्तेमाल विभिन्न बीमारियों के इलाज और रोकथाम के लिए किया जाता है। बेल दस्त, पेचिश, कब्ज, और अपच जैसी पाचन से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी है। पूजा-पाठ में भी बेल का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन आप शायद जानते होंगे, देश में बेल का उत्पादन कहां-कहां होता है। बेल उत्पादन में नंबर वन राज्य कौन सा है। यहां विस्तार से जानते हैं।

ओडिशा पहले नंबर पर
भारत में बेल का सबसे अधिक उत्पादन ओडिशा में होता है, यहां वर्ष 2023-24 में 46.36 हजार मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। जो पूरे देश का 70.72 प्रतिशत है।

दूसरे नंबर पर झारखंड
भारत में बेल उत्पादन में दूसरे नंबर पर झारखंड आता है, यहां वर्ष 2023-24 में 9.07 हजार मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। जो पूरे देश का 13.84 प्रतिशत है।

तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश
भारत में बेल उत्पादन में तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश आता है, यहां वर्ष 2023-24 में 4.59 हजार मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। जो पूरे देश का 7.00 प्रतिशत है।

चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल
भारत में बेल उत्पादन में चौथे नंबर पर पश्चिम बंगाल आता है, यहां वर्ष 2023-24 में 4.36 हजार मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। जो पूरे देश का 6.65 प्रतिशत है

पांचवें नंबर पर छत्तीसगढ़
भारत में बेल उत्पादन में पांचवें नंबर पर छत्तीसगढ़ आता है, यहां वर्ष 2023-24 में 0.53 हजार मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। जो पूरे देश का 0.81 प्रतिशत है।

छठे नंबर पर जम्मू कश्मीर
भारत में बेल उत्पादन में छठे नंबर पर जम्मू कश्मीर आता है, यहां वर्ष 2023-24 में 0.47 हजार मैट्रिक टन उत्पादन हुआ। जो पूरे देश का 0.72 प्रतिशत है। (डेटा सोर्स- NBH)

बेल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
बेल की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु गर्म और शुष्क मौसम होता है, जो बेल के फलने-फूलने के लिए जरूरी है। बलुई-दोमट मिट्टी बेल की जड़ प्रणाली के लिए आदर्श है, जिससे पौधे को पर्याप्त जल निकासी मिलती है।

स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है बेल
बेल की खेती की सफलता का मुख्य कारण इन राज्यों की जलवायु, मिट्टी, पारंपरिक कृषि प्रथाएं, और सरकारी समर्थन है। इन राज्यों में बेल उत्पादन न केवल कृषि क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था और सांस्कृतिक धरोहर में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।

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