हल्दी की जैविक खेती ने बदली किस्मत, 1 एकड़ में कमा लिए 6.5 लाख रुपये से ज्यादा

Success Story: महाराष्ट्र के सांगली में रहने वाले विनोद तोडकर ने हल्दी की खेती में आए संकट को अवसर में बदलकर अपनी सफलता की कहानी लिखी। रासायनिक खेती में उत्पादन घटने और खर्च बढ़ने से परेशान होकर उन्होंने जैविक खेती अपनाई, जिसने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया।

हल्दी की पारंपरिक खेती
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​हल्दी की पारंपरिक खेती​

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक बीस वर्षों तक हल्दी की पारंपरिक खेती करने के बाद विनोद ने देखा कि जलवायु परिवर्तन और रासायनिक खादों के दामों में बढ़ोतरी ने खेती को घाटे का सौदा बना दिया है। हल्दी की जड़ों में फंगस जैसी बीमारियां भी बढ़ रही थीं। (तस्वीर-istock/facebook)

जैविक खेती की ओर कदम
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​जैविक खेती की ओर कदम​

इन चुनौतियों के बीच विनोद ने खेती का वैकल्पिक रास्ता खोजा और जैविक खेती को अपनाया। इसमें पशु खाद, कम्पोस्ट और प्राकृतिक कीट नियंत्रण पर जोर देकर मिट्टी की उर्वरता को स्वाभाविक रूप से बढ़ाया जाता है। (तस्वीर-istock/facebook)

जैविक खेती से हुई उत्पादन में वृद्धि
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​जैविक खेती से हुई उत्पादन में वृद्धि​

रासायनिक खेती में जहां प्रति एकड़ 20-25 क्विंटल हल्दी होती थी, वहीं जैविक खेती से यह बढ़कर 40 से 52 क्विंटल तक पहुंच गई। इससे विनोद की आमदनी और मुनाफा दोनों में जबरदस्त इजाफा हुआ। (तस्वीर-istock/facebook)

आर्थिक सफलता और मुनाफा
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​आर्थिक सफलता और मुनाफा​

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक विनोद ने 1.5 एकड़ जमीन से 3 टन ऑर्गेनिक हल्दी पाउडर 750 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से बेचकर 21 लाख रुपये का कारोबार किया। सभी खर्च निकालने के बाद उनका शुद्ध मुनाफा 10 लाख रुपये रहा, जो प्रति एकड़ 6.5 लाख रुपये से भी ज्यादा है। (तस्वीर-istock/facebook)

इनोवेशन NPK एजोटोबैक्टर बायोफर्टिलाइजर
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​इनोवेशन: NPK एजोटोबैक्टर बायोफर्टिलाइजर​

उनका खास इनोवेशन है NPK एजोटोबैक्टर जैविक बायोफर्टिलाइजर, जिसे किसान सिर्फ एक बार खरीदकर खेत पर दही जमाने की तरह बढ़ा सकते हैं। इससे लागत कम होती है और बाजार पर निर्भरता घटती है। (तस्वीर-istock/facebook)

खेती की आधुनिक तकनीकें और विधियां
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​खेती की आधुनिक तकनीकें और विधियां​

जमीन तैयार करने के लिए विनोद मुर्गी खाद, जीवामृत और वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करते हैं। हल्दी के कंद मेड़ और नाली विधि से लगाए जाते हैं, साथ ही ड्रिप इरीगेशन द्वारा पानी सीधे जड़ों तक पहुंचाया जाता है। धनिये की इंटरक्रॉपिंग से अतिरिक्त आय भी होती है। (तस्वीर-istock/facebook)

सफलता का संदेश और किसानों के लिए प्रेरणा
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​सफलता का संदेश और किसानों के लिए प्रेरणा​

विनोद तोडकर अपनी सफलता का फॉर्मूला दूसरे किसानों के साथ भी शेयर कर रहे हैं और अपनी हल्दी व धनिया की बिक्री ‘तोडकर एग्रो फार्म्स’ के माध्यम से करते हैं। उनका ये सफर किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। (तस्वीर-istock/facebook)

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