नई दिल्ली। RTI amendment bill राज्यसभा में सूचना के अधिकार संशोधन बिल पर गरमागरम बहस हुई। विपक्षी दलों खासतौर से कांग्रेस ने कहा कि सरकार आरटीआई की मूल भावना को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। जिस मकसद के साथ इस कानून को बनाया गया था उसमें बदलाव की कोशिश की गई। राज्यसभा में कांग्रेस के नेता गुलामनबी आजाद ने कहा कि मंत्री अब खुलेआम धमकी देते हैं। इस तरह के बयान के बाद कांग्रेस ने राज्यसभा की कार्यवाही के बहिष्कार करने का फैसला किया और सदन से उसके सदस्य से बाहर चले गए।
कांग्रेस के बहिष्कार के फैसले के बाद आरटीआई संशोधन बिल को पारित कराने का रास्ता साफ हो गया। सदन की कार्यवाही प्रक्रिया के मुताबिक सदन में मौजूद सदस्य मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा लेते हैं। इस संशोधन के खिलाफ टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन का प्रस्ताव खारिज हो गया।
बुधवार को आरटीआई संशोधन बिल पर मतदान के संबंध में सोनिया गांधी ने कांग्रेस सांसदों के साथ बैठक की थी। जानकारों का कहना है कि अगर कांग्रेस को वास्तव में आरटीआई के संशोधन पर विरोध था तो वो सदन में मौजूद रहकर सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ मतदान करते। लेकिन सदन का बहिष्कार भी एक तरह से सरकार के साथ रहना ही माना जाता है।
सूचना आयुक्त, राज्यों के सूचना आयुक्तों के कर्तव्यों, वेतन और भत्ते पर अब सरकारी नियंत्रण होगा। कांग्रेस को ऐतराज था कि इससे लोगों को सही तरह से सूचना नहीं मिल पाएगी। सरकार द्वारा नियंत्रण स्थापित करने के बाद सत्ता में बैठे हुए लोग अपने खिलाफ किसी जानकारी को सार्वजनिक नहीं होने देंगे। इसका अर्थ ये होगा कि सरकारी विभागों में सत्ता पक्ष की मनमानी बढ़ जाएगी।
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