नई दिल्ली। सियासी भाषा लचकदार होती है और उसका इस्तेमाल राजनेता करते रहते हैं। 23 नवंबर को एक तस्वीर सामने आई जिसमें एनसीपी नेता अजित पवार डिप्टी सीएम की शपथ ले रहे थे। लेकिन 26 नवंबर तक तस्वीर बदल चुकी थी और वो फडणवीस सरकार से अलग हो चुके थे, हालांकि इस बात के कयास तभी लगने शुरू हो गए जब वो पदभार संभालने के लिए मंत्रालय नहीं गए।
अजित पवार को समझाने की तमाम कोशिश रंग लाई और अब उनका बयान अहम है कि वो एनसीपी में ही थे, एनसीपी में ही हैं, सवाल ये है कि क्या उन्हें एनसीपी से निकाला गया था, क्या आपने इस संबंध में किसी तरह की खबर सुनी। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो उद्धव ठाकरे मंत्रिमंडल में शामिल होंगे तो इस सवाल के जवाब में कहा कि इस संबंध में पार्टी फैसला करेगी।
अजित पवार के संदर्भ में एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि अंत में उन्होंने अपनी गलती स्वीकार कर ली। यह एक पारिवारिक मामला था, पवार साहेब ने उन्हें माफ कर दिया है। अजित पवार पहले भी पार्टी में ही थे और उनकी स्थिति में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है।
अजित पवार के संबंध में जब बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस से पूछा गया कि क्या उनकी तरफ से गलती हुई तो इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि समय आने पर वो जरूर जवाब देंगे। मंगलवार को इस्तीफा देने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि संख्या बल की कमी उनके पास कमी थी, बीजेपी विधायकों के खरीदफरोख्त में भरोसा नहीं करती है, लिहाजा इस्तीफा देने का फैसला किया गया।
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