मुंबई: महाराष्ट्र में 24 अक्टूबर को नतीजे घोषित होने के बाद से अभी तक नई सरकार का गठन नहीं हो सका है जिस वजह से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। जहां एक तरफ नई सरकार के गठन को लेकर राजनीतिक दल प्रयासरत हैं वहीं दूसरी तरफ राज्य में किसानों की आत्महत्या करने का सिलसिला जारी है। राज्य में पिछले 20 दिनों के भीतर 29 किसानों ने आत्महत्या कर ली है।
इस दौरान सबसे ज्यादा मामले विदर्भ और मराठवाड़ा से आए हैं। किसानों का मुद्दा हमेशा से ही महाराष्ट्र की राजनीति में एक अहम मुद्दा रहा है लेकिन किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुईं हैं। बेमौसम बरसात के चलते फसल नुकसान से जूझ रहे किसानों की दुर्दशा पर चर्चा के लिये आज कांग्रेस, एनसीपी और शिसवेना के नेताओं का एक शिष्टमंडल राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मुलाकात करेगा और किसानों के ताजा हालात से अवगत कराएगा।
जहां राजनीतिक दल सत्ता हथियाने के लिए जुटे हैं वहीं दूसरी तरफ किसान हैं जो आत्महत्या करने को मजबूर हैं। विदर्भ क्षेत्र से 29 किसानों ने आत्महत्या की है। बुलढ़ाणा में 12, यवतमाल में 8, वाशिम में तीन, चंद्रपुर में 3, अमरावती, गोदिंया और गढ़चिरौली में एक-एक किसान ने आत्महत्या की है।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि वे 10 हजार करोड़ रुपये के विशेष पैकेज को जल्द दिये जाने की मांग करेंगे, जिसकी पहले घोषणा की गयी थी। किसानों की समस्याओं को लेकर कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने कुछ दिन पहले बारिश से प्रभावित इलाके मराठवाड़ा के औरंगाबाद लातूर, नांदेड़, औरंगाबाद का दौरा किया था। बारिश की मार झेल रहे किसानों से नेता लगातार मुलाकात कर रहे हैं। इससे पहले शिवसेना प्रमुख ने कन्नड़ तहसील के कानड़ गांव का भी दौरा किया था।
दरअसल बेमौसम बारिश के चलते महाराष्ट्र में लाखों हेक्टेयर फसल को नुकसान हुआ है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सरकार ने प्रभावित किसानों को तत्काल राहत देने के लिये 10,000 करोड़ रुपये की घोषणा की थी। विपक्षी दलों ने इस पैकेज को नाकाफी बताया और किसानों के लिये प्रति हेक्टेयर 25,000 रुपये की सहायता की मांग की थी।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।