मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे सबके सामने हैं। राज्य में भाजपा- शिवसेना गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला है। इस चुनाव में कई दिग्गज नेताओं की हार हुई लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिसकी जीत की चर्चा हर जगह हो रही है। इस शख्स का नाम है राम सातपुते। राम सातपुते चीनी मिल में काम करने वाले एक मजदूर के बेटे हैं जिन्हें भाजपा ने मालशिरस विधानसभा क्षेत्र से अपना उम्मीदवार बनाया।
राम पर भाजपा ने जो भरोसा जताया था, उन्होंने उसे सही साबित किया और विधानसभा चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के उत्तमराव शिवदास को ढ़ाई हजार से ज्यादा मतों के अंतर से हराया। राम सतपुते लंबे समय से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) में कार्य कर चुके हैं और उन्हें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का करीबी माना जाता है।
जिस विधानसभा से राम को टिकट दिया गया था वो सीट भाजपा की सहयोगी पार्टी रामदास अठावले की रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के खाते में आई थी। लेकिन जब राम सातपुते का नाम सामने आया तो आरपीआई ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई।
अपनी जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए राम सातपुते ने कहा, 'ये तो मेरे लिए वैसे था मतलब..मैं दो-तीन साल से वहां काम कर रहा हूं। मैं पिछले दो-तीन साल से वहां पर काम कर रहा हूं। लेकिन मेरे लिए यह एक आनंद का क्षण था कि एक मजदूर का बेटा, जो अभी पिछली फिल्म आई थी कि राजा का बेटा राजा नहीं बनेगा, जो असली हकदार होगा वही राजा बनेगा। तो मेरे लिए यह बहुत ही आनंद का क्षण है।'
राम ने बताया, 'पहले तो मेरे माता-पिता को एमएलए क्या होता है ये भी नहीं पता है, लेकिन उनको लगता था कि लोग आ रहे हैं और मिल रहे तो लड़का कुछ तो अच्छा कर रहा है। इसकी वजह से घर में आनंद का माहौल था। मेरे जैसे गरीब परिवार से आया हुआ, पिछले समाज से आए हुए कार्यकर्ता को जो यहां पर एक ताकत देने का काम आदरणीय मुख्यमंत्री साहब, आदरणीय अठावले साहब और पूरे पार्टी नेतृत्व ने किया है उसे मैं जीवन भर में कभी नहीं भूल सकता हूं।'
राम एबीवीपी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं और कई छात्र आंदोलनों में अहम भूमिका निभा चुके हैं। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले सातपुते एबीवीपी के प्रदेश मंत्री भी रह चुके हैं।
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