लखनऊ। बानो बेगम की पहचान सिर्फ एक गांव के प्रधान की ही नहीं है बल्कि उनकी पहचान पाकिस्तानी नागरिक के तौर पर भी है। खास बात यह है कि वो एटा जिले के गुडाउ गांव की जिम्मेदारी भी संभाल रही थीं। इस मामले में जब जानकारी सामने आई तो प्रशासन के हाथ पांव फूल गए और बानो बेगम के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई दई। इस मसले पर बानो बेगम ने सफाई भी दी है। वो कहती हैं कि उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा। वो तो पूर्व प्रधान हैं जिन्होंने गांव का प्रधान बना दिया। मुझे अधिक जानकारी नहीं है।
एटा जिला प्रशासन का बयान
एटा के जिला पंचायती राज अधिकारी आलोक प्रियदर्शी ने कहा कि ग्राम पंचायत के सदस्यों ने सर्वसम्मति से उन्हें ग्राम प्रधान चुना। तो, वे इसके लिए जिम्मेदार हैं। एक भारतीय नागरिक को ग्राम पंचायत प्रमुख के रूप में चुने जाने की आवश्यकता है। हमने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।
पाकिस्तान की करांची की रहने वाली बानो बेगम एटा जिले के गुडाउ गांव में अपने रिश्तेदार के यहां आई थी। लेकिन वो वापस पाकिस्तान नहीं गईं। एक स्थानीय निवासी अख्तर अली से निकाह कर लिया था और लॉन्ग टर्म वीजा को बढ़ाकर वो रह रही थीं। बानो बेगम को भारतीय नागरिकता नहीं पाई है। यह बात अलग है कि फर्जी तरीकों से भारत में आधार और वोटर कार्ड भी बनवा लिया। 2015 के चुनाव में बानो बेगम को ग्राम पंचायत सदस्य भी चुना गया था। ग्राम प्रधान शहनाज बेगम के इंतकाल के बाद बानो बेगम को गांव का कार्यवाहक प्रधान बना दिया गया था।
गुडाउ की कुवैदन खान को असलियत का पता चला तो उन्होंने बानो बेगम के खिलाफ शिकायत दी। शिकायत के बाद बानो बेगम ने ग्राम प्रधान के पद से इस्तीफा दे दिया। जब इस मामले में होहल्ला मचा तो जिला पंचायती राज अधिकारी आलोक प्रियदर्शी ने एटा के जिला मजिस्ट्रेट के सामने इस पूरे प्रकरण को रखा।
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