कोलकाता। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का एक बयान राज्य की सियासत में गर्मी फूंक सकता है, वैसे तो वो सीएए, एनपीआर और एनआरसी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधती हैं। लेकिन उन्होंने गंगा सागर दर्शन के मुद्दे को उठाकर केंद्र सरकार की घेरेबंदी की है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से केंद्र सरकार कुंभ को कामयाब बनाने के लिए मदद करती है वो मदद गंगा सागर के विकास के लिए नहीं मिलती है।
ममता बनर्जी ने कहा कि जो लोग गुरुवार से गंगा सागर दर्शन के लिए जाएंगे उन्हें पांच लाख का बीमा दिया जाएगा, बात सिर्फ बीमा कवर देने की होती तो शायद सियासत नजर नहीं आती। लेकिन उन्होंने कहा कि कुंभ को कामयाब बनाने के लिए केंद्र सरकार हजारों करोड़ देती है। ये बात अलग है कि गंगासागर के मुद्दे पर आंख बंद कर लेती है। सच ये है कि गंगा सागर का महत्व,कुंभ मेला से कम नहीं है। पश्चिम बंगाल की सरकार आधारभूत और सुविधाओं के लिए किसी से भी एक रुपय नहीं लेती है।
अब सवाल ये है कि ममता बनर्जी की तरफ से इस तरह का आरोप क्यों लगाया गया। जानकार कहते हैं कि दुर्दा पूजा और पांडालों के संबंध में करीब तीन साल पहले जो उनका रुख था उसकी आलोचना बीजेपी करती रही। खासतौर से दुर्गा पूजा पर मूर्ति विसर्जन पर उन्हें कोलकाता हाईकोर्ट से झिड़की सुननी पड़ी। बीजेपी ने यह प्रचारित करना शुरू किया कि तुष्टीकरण की राजनीति में ममता इस कदर डूबी हुई हैं कि हिंदुओं के हितों को भूल गयी है। 2019 के आम चुनाव में जब बीजेपी ने उनके किले को ध्वस्त किया तो उनकी रणनीति में बदलाव आया और वो यह दिखाने की कोशिश करने लगीं कि वो हिंदुओं की विरोधी नहीं है लिहाजा उनकी तरफ से गंगा सागर के मुद्दे को उठाया गया।
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