नई दिल्ली। तीन तलाक बिल को मंगलवार को राज्यसभा में 12 बजे पेश किया गया। इस बिल के बारे में बोलते हुए कानून मंत्री ने कहा कि यह बिल किसी पार्टी या किसी समाज के विरोध में नहीं है। जहां तक कुछ राजनीतिक दल विरोध कर रहे हैं उसमें राजनीति है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक के मामलों में कमी नहीं आई है। करीब 2500 से ज्यादा मामले आज की तारीख में सामने आए हैं। इन सबके बीच मोदी सरकार को बड़ी राहत मिलती नजर आ रही है। जेडीयू ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया है।
अभी तक जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक एआईएडीएमके, वाईएसआरसीपी और समाजवादी पार्टी के सांसद बहिष्कार या सदन से गैरहाजिर रह सकते हैं। अगर ऐसा होता है कि तो एनडीए सरकार इस ऐतिहासिक बिल को पारित कराने में कामयाब हो सकती है। ये बात अलग है कि लोकसभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस और एआईएमआईएम को खास आपत्ति थी। एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने संशोधन लाया था। लेकिन मतविभाजन में उनकी सभी आपत्तियां खारिज हो गईं।
कांग्रेस की तरफ से इस बिल पर जवाब देते हुये अमी यागनिक ने कहा कि सरकार एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दे रही है। लेकिन आपने देखा होगा कि तलाक के मामलों में कमी नहीं आई। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार इसे क्रिमिनल केस मानती है, हालांकि इस मामले को फैमिली कोर्ट के सुपुर्द होना चाहिए। अगर यह बिल कानून की शक्ल अख्तियार करता हो तो उससे मुस्लिम महिलाओं की दिक्कतों में इजाफा ही होगा।
राज्यसभा में अगर सांसदों की संख्या पर नजर डालें तो सत्ता पक्ष को 104 सांसदों का समर्थन हासिल हैं। जबकि विरोध में 109 सांसद हैं। अगर वाईएसआरसीपी, एआईएडीएमके और समाजवादी पार्टी के सांसद सदन में गैरमौजूद या बहिष्कार करते हैं तो राज्यसभा की सूरत बदल जाएगी। इस तरह के हालात में एनडीए सरकार आसानी से इस बिल को पारित करा सकती है।
संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने बताया कि सरकार के सामने 11 बिल को पारित कराने की चुनौती है। अभी तक लोकसभा और राज्यसभा में कुल 15 विधेयकों को पारित कराया गया है। तीन तलाक बिल पर अलग अलग दलों की अलग राय है। कांग्रेस और टीएमसी ने अपने सांसदों को विरोध करने के लिए तीन लाइन का ह्विप भी जारी किया है। राज्यसभा में सरकार के पास संख्या बल की कमी है लिहाजा उनकी उम्मीद कुछ दलों के गैरमौजूदगी और बहिष्कार पर टिकी हुई है।
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