नई दिल्ली : लोकसभा के बाद तीन तलाक विधेयक मंगलवार को राज्यसभा से भी पारित हो गया। विधेयक के पारित होने से पहले इस पर लंबी बहस के बाद मतविभाजन हुआ। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंगलवार को मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को राज्यसभा में पेश किया। लोकसभा में यह महत्वपूर्ण विधेयक गुरुवार को पारित हुआ। निम्न सदन में इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद सभी की नजरें उच्च सदन पर लगी थीं। कांग्रेस सहित विपक्ष ने इस विधेयक को चयन समिति के पास भेजने का सुझाव दिया लेकिन राज्यसभा अध्यक्ष वेंकैया नायूड ने इस सुझाव को ठुकरा दिया। राजयसभा में तीन तलाक विधेयक के पक्ष में 99 और इसके खिलाफ 84 मत पड़े।
मत विभाजन के दौरान टीडीपी और टीआरएस के सांसद अनुपस्थित रहे। वाईएसआरसीपी का एक सांसद मत विभाजन के दौरान गैर-मौजूद रहा। जबकि बीएसपी सदन से वॉक आउट कर गई। यही नहीं एनसीपी के शीर्ष नेता भी सदन से दूर रहे। विधेयक पर पर्ची के जरिए मतदान हुआ। इस दौरान विधेयक पर विपक्ष के कई संशोधन प्रस्ताव गिर गए।
राज्यसभा से पारित हो जाने के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है। यह विधेयक तत्काल तीन तलाक देने वाले मुस्लिम पुरुषों को सजा देगा। मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक अब हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास जाएगा जिसके बाद यह कानून का शक्ल लेगा। इसके कानून बनते ही तीन तलाक पर मौजूदा अध्यादेश स्वत: समाप्त हो जाएगा। बता दें कि सरकार तीन तलाक पर अध्यादेश गत फरवरी में लाई थी। जबकि मोदी सरकार ने तीन तलाक विधेयक को पहली बार दिसंबर 2017 में लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक पर सरकार और विपक्ष के बीच तकरार थी। विपक्ष का सबसे बड़ा विरोध विधेयक के आपराधिक प्रावधानों को लेकर था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अगस्त में तत्काल तीन तलाक को असंवैधानिक, अनुचित और गैर-कानूनी घोषित किया था। मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में इस विधेयक को लोकसभा में पारित कराने में सफल हुई थी लेकिन यह विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हो सका। साल 2019 में दूसरी बार सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने नए सिरे से इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया। यह विधेयक गत गुरुवार को निम्न सदन में पारित हुआ।
लोकसभा में सरकार के पास बहुमत होने की वजह से इसे पारित कराने में मुश्किल नहीं हुई लेकिन राज्यसभा में उसके पास बहुमत नहीं था। राज्यसभा में विपक्ष के सदस्यों के अनुपस्थित रहने से यह विधेयक वहां से भी पारित हो गया। इस विधेयक के पक्ष में 99 वोट और विरोध में 84 वोट पड़े। विपक्ष सदस्यों के सदन से गैर-हाजिर रहने एवं वॉक आउट करने से सरकार यह महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराने में सफल हो गई। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने विधेयक के पारित होने को ऐतिहासिक बताया।
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