नई दिल्ली: संसद ने मुस्लिम महिलाओं को एक बार में तीन तलाक देने की प्रथा पर रोक लगाने वाले विधेयक को मंगलवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में तीन तलाक का अपराध साबित होने पर पति को तीन साल तक की जेल का प्रावधान किया गया है। मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकारों का संरक्षण) विधेयक, 2019 को राज्यसभा ने 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित कर दिया। लोकसभा इसे गुरुवार को ही ही पारित कर चुकी है। इस विधेयक के पास होने पर मुस्लिम महिला कार्यकर्ताओं ने खुशी का इजहार किया है। महिला कार्यकर्ताओं का कहना है कि इससे मुस्लिम महिलाओं को न्याय मिलेगा।
महिला एक्टिविस्ट जरीन खान ने कहा, 'इतने सालों से जो महिलाओं की लड़ाई है उसे जीत हासिल हुई है। सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर मैं इससे काफी लंबे से जुड़ी रही हूं। इस बिल में हमें कुछ बदलावों की जरूरत थी। महिलाओं की लड़ाई से यह बिल यहां तक पहुंचा है। इस बिल में महिलाओं को केंद्र से हटाकर सिर्फ पति को अपराधी घोषित कर छोड़ दिया गया है।'
उन्होंने पीड़ित महिलाओं के भविष्य को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा, 'अगर महिला के पति को जेल हो रही है तो पीड़िता और उसके बच्चों की जिम्मेदारी सरकार को उठानी चाहिए ताकि वो अपने पिता या किसी और परिवार के सदस्य पर आश्रित न रहे। खैर, बिल पास हो गया है अब इसा राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। अगर या साफदिली से यह बिल लाया गया है तो इसमें महिला सुरक्षा और अधिकार केंद्र में होने चाहिए। मैं उन सभी महिलाओं को बधाई देते हूं जो यह लड़ाई लड़ती आई हैं। सरकार को मुबारकबाद जिसने कोशिश करके यह बिल पास कराया है।'
वहीं, महिला एक्टिविस्ट रुबीना ने कहा, 'जिनके साथ गलत होता है उनको तो न्याय मिलेगा। लेकिन न्याय कैसे मिलेगा क्योंकि कोर्ट में केस कई सालों तक चलता रहता है। जो महिला परेशानी होती है वो इससे और ज्यादा परेशान हो जाती है। मां-बाप के अलग होने पर बच्चों की पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा क्योंकि पैसा की दिक्कत आएगी। इसलिए महिलाओं को ऐसी ट्रेनिंग दी जानी चाहिए ताकि वो अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और बच्चों का सही से पालन-पोषण कर पाएं।
हालांकि, रुबीना ने इस कानून के दुरुपयोग को लेकर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, 'तीन तलाक हुआ है लेकिन कई बारकुछ महिलाएं भी गलत कर देती हैं पुरुषों के साथ। सरकार को यह देखना चाहिए कि कोई कानून को गलत इस्तेमाल न कर सके। कभी-कभी झूठा आरोप लगाकर भी फंसा दिया जाता है।'
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