मिर्जापुरः उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के घोरावल तहसील के अंतर्गत आने वाले उंभा गांव में हुए नरसंहार पर सियासत नया रूप ले रही है। राज्य में पिछले तीन दिनों में लगभग 20 लोगों की अलग-अलग जिलों से हत्या की खबरें आई हैं। जिसमें शुक्रवार को प्रयागराज में दो लोगों की हत्या दिनदहाड़े कर दी गई। एक व्यक्ति की हत्या सुबह ही लगभग 10.15 बजे की गई, जो एक सरकारी बैंक के मैनेजर थे। वहीं, दूसरा व्यक्ति रेलवे कर्मचारी था। उसकी भी हत्या दोपहर में ही की गई। सोनभद्र और संभल के मामले तो अलग तरह के हैं।
उत्तर प्रदेश में अपराधियों को किसी से डर नहीं
राज्य में इस तरह से हर रोज हो रही हत्याओं पर सरकार क्या कर रही है? क्या सरकार से इन घटनाओं के बारे में सवाल करना गलत है? क्या जनता को यह अधिकार नहीं है कि वह राज्य की सरकार से अपनी सुरक्षा की गुहार लगाए और अगर उसको सुरक्षा न मिले तो अपनी लोकप्रिय सरकार से या चुने हुए प्रतिनिधियों से अपनी बात कह सके। जिस तरह से पुलिस पर हमले करके उनकी बंदूकें लूटी जा रही हैं और दिन दहाड़े हत्यायें की जा रही हैं। सदी का सबसे बड़ा नरसंहार सोनभद्र में हुआ है। क्या इस सब घटनाओं से यह साबित नहीं हो रहा है कि राज्य में अपराधियों को किसी बात का डर नहीं है। क्या यही 'न्यू इंडिया' है?
प्रियंका गांधी के घोरावल जाने पर क्यों डर रहे हैं अधिकारी?
सरकार से सवाल करने पर लोगों की जुबां पर ताला लगा दिये जाने का भय है और अगर नेता इस बात को उठाते हैं, तो उन्हें हिरासत में लिए जाने का डर है। क्या इस डर की वजह से अब जनता मूकदर्शक बनी रहेगी? अपने हक के लिए अपनी सुरक्षा की गारंटी के लिए वह सड़क पर नहीं उतरेगी? सोनभद्र में घटित घृणित घटना की जानकारी लेने और पीड़ितों के परिजनों से मिलने के लिए अगर प्रियंका गांधी घोरावल जा रही हैं, तो उन्हें रास्ते में ही क्यों हिरासत में लिया गया है? अधिकारियों का कहना है कि वहां पर धारा 144 लगाई गई है, जहां पर चार से ज्यादा लोग एक साथ नहीं जा सकते हैं। प्रियंका गांधी अधिकारियों की यह बात भी मान ली हैं कि वह केवल चार लोगों के साथ ही जाना चाहती हैं, तो इस बात पर अधिकारियों का दम क्यों घुंट रहा है? उनके हाथ-पांव क्यों फूल रहे हैं?
प्रियंका गांधी को हिरासत में लेने की क्या है वजह?
क्या प्रियंका गांधी को केवल इसलिए रोका जा रहा है कि वो कांग्रेस की नेता हैं और भाजपा सरकार को कांग्रेसी कत्तई नहीं सुहाते हैं? सरकार की तरफ से आदिवासियों की हाल चाल कोई नहीं ले पा रहा है और यह काम विपक्ष कर रहा है तो सरकारी अधिकारियों द्वारा उन्हें क्यों रोका जा रहा है? प्रियंका गांधी के पास कोई फौज तो नहीं है कि उनके घोरावल पहुंचने पर लोग उद्वेलित हो जाएंगे। सच तो यह है कि प्रियंका गांधी को केवल इसलिए हिरासत में लिया गया है कि इस मामले पर सरकार घिरने न पाये। इस कदम से सरकार अपनी ही चाल में फंस गई है। प्रियंका गांधी को अगर जाने दिया जाता तो जनता की सहानुभूति शायद इतना न मिल पाती जितना कि अब मिल रही है और न ही सुर्खियां बटोर पातीं।
सोनभद्र की घटना पर आगे निकली कांग्रेस, पिछड़ी सपा
राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी को यह काम करना चाहिए था और नेता विपक्ष को घोरावल जाकर घटना की पूरी जानकारी करनी चाहिए थी। उसके बाद सदन में इस बात को जोरदार तरीके से उठाकर जनता का ध्यान आकर्षित करना चाहिए, लेकिन सपा अभी अपनी हार से उबर नहीं पा रही है। साथ में सपा के नेता अपने स्वार्थों की पूर्ति कर लेने के बाद एक-एक करके पार्टी भी छोड़ते जा रहे हैं। इसलिए समाजवादी पार्टी के सामने धीरे-धीरे संकट खड़ा होता जा रहा है। नेतृत्व कमजोर होता जा रहा है। सपा के नेता यह सोच रहे हैं कि सदन में शोर करने से सब काम हो जाएगा। लेकिन वो मुगालते में जी रहे हैं। वहीं, बसपा अभी भाई की संपत्ति को बचाने में लगी हुई है, जो काम नेताओं को सड़क पर करना चाहिए, वह अब ट्वीटर के जरिए करने लगे हैं, तो जनता भी उनको उसी तरह से सबक भी सिखा रही है।
धरने पर बैठकर प्रियंका गांधी बटोर रही हैं सुर्खियां
प्रियंका गांधी ने सोनभद्र पहुंचने की कोशिश में लगी हुई हैं और उन्हें अधिकारियों ने हिरासत में ले रखा है। प्रियंका गांधी धरने पर बैठी हैं, जिससे वो बरबस ही लोगों का ध्यान खींच रही हैं। प्रियंका गांधी के इस कदम की चहुंओर चर्चा भी हो रही है। लोग कह रहे हैं कि जो काम अखिलेश को करना चाहिए था, वह काम प्रियंका गांधी कर रही हैं। इसमें दो राय नहीं कि आने वाले समय में लोग कांग्रेस के साथ जुड़ना ज्यादा पसंद करेंगे।
(डिस्क्लेमर : मनोज यादव अतिथि लेखक हैं और ये इनके निजी विचार हैं। टाइम्स नेटवर्क इन विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है।)
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