नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने वार्ताकारों की अनसूनी कर दी थी। वो एक सुर में कहते नजर आए कि सीएए वापसी से कम कुछ स्वीकार नहीं। बुधवार को बातचीत अटकी जरूर लेकिन वार्ताकारों संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन ने कहा कि वो एक बार फिर आएंगे। सवाल वहीं है क्या शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों के नाके बंदी से आजाद होगा।
शाहीन बाग में वार्ताकार क्या बोले
संजय हेगड़े ने कहा कि जब तक देश की सर्वोच्च अदालत है तब तक आप लोगों की बात सुनी जाएगी। इसके साथ ही साधना रामचंद्रन ने कहा कि शाहीन बाग का अस्तित्व हमेशा के लिए बरकरार रहेगा।
क्या हठ पर अड़ी है शाहीन बाग में महिलाएं
प्रदर्शन करने वाली महिलाओं का कहना है कि जब तक सीएए के काले कानून को मोदी सरकार वापस लेने की घोषणा नहीं होती वो वहां बैठी रहेंगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नहीं मानेंगी या अदालत का सम्मान नहीं करेंगी तो जवाब था सीएए को हटाया जाना ही उनका मूल लक्ष्य है। जब बार बार उनसे सवाल पूछा गया कि क्या वो लोग सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों की अवहेलना नहीं कर रहे हैं तो उनका जवाब बहुत ही तीखा था। प्रदर्शनकारी महिलाओं का कहना है कि एनआरसी की वजह से दो परेशानियां आएंगी उसके बारे में कोई बात क्यों नहीं कर रहा है।
आने वाली मुश्किल से मौजूदा दिक्कतें कम
वार्ताकारों ने बुधवार को कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि विरोध का अधिकार हर किसी को है। लेकिन और लोगों को परेशानी न हो इसका ख्याल भी रखना होगा। इसके साथ ही प्रदर्शनकारी किसी और जगह पर प्रदर्शन कर सकते हैं। लेकिन प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि आने वाले समय में जितनी बड़ी कठिनाइयों का सामना करना होगा उसकी तुलना में यह दिक्कत कम है।
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