नई दिल्ली : सड़क हदासे में मौत के मामले में भारत दुनिया में सबसे आगे है। अब इसमें कमी आ सकती है क्योंकि 1988 मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन बिल लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी पास हो गया है। अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून का रूप ले लेगा। यह संशोधन बिल कैसे देश की सड़कों सुरक्षा और वाहनों की भीड़ को नियंत्रित करने में बड़ा बदलाव लाएगा? यह कानून लागू होने के बाद ही पता चल पाएगा। इस बिल का उद्देश्य सड़क नियमों को कड़ा करके और जुर्माने के बढ़ाकर साथ रही निरर्थक नियमों को खत्म करके अधिक अनुशासित बनाना है। यह उन लोगों के लिए मानवीय चेहरा भी प्रस्तुत करता है। जो सड़क हादसे में पीड़ितों की मदद करता है और उन्हें काफी वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। इसके लिए सरकार सड़क सुरक्षा और ट्रैफिक मैनेजमेंट के सभी पहलुओं पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने के लिए एक राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा बोर्ड भी बनाएगी। केंद्र सरकार, नए मोटर वाहन बिल के अनुसार राज्य सरकारों से सलाह मशविरे के बाद राष्ट्रीय परिवहन नीति तैयार करेगी।
हादसे के लिए तय होगी जवाबदेही
सभी सड़क हादसे चालक की लापरवाही के कारण नहीं होती है। कई अन्य कारण भी होते हैं। नए मोटर वाहन बिल के अनुसार दोषपूर्ण सड़क डिजाइन के लिए ठेकेदारों की जवाबदेही तय होगी। अगर ठेकेदार या ऑथरिटिज निर्धारित सड़क डिजाइन और मानकों को पालन नहीं करते हैं और इस वजह से किसी व्यक्ति को चोट लगती है या उसकी मौत होती है तो इसके लिए ठेकेदार या ऑथरिटिज को जिम्मेदार माना जाएगा। पहले ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। नाबालिगों को अभी भी वाहन चलाने की अनुमति नहीं है। अगर वे फिर भी वाहन चलाते पाए जाते हैं और हादसे के कारण बनते हैं तो इसके लिए उसके अभिभावक या वाहन के मालिक को उत्तरदायी माना जाएगा और मुकदमा चलाया जाएगा। भारत के पास एक कानून नहीं था जिसके तहत किसी निर्माता को बाजार से किसी वाहन के डिफेक्ट मॉडल या घटक को वापस लेने का निर्देश दिया जा सकता था। लेकिन अब अगर काफी संख्या में यूजर्स और टेस्टिंग एजेंसी के द्वारा वाहनों में डिफेक्ट की शिकायत की जाती है तो नए मोटर वाहन बिल के अनुसार सरकार को ऐसा करने का अधिकार होगा।
ट्रैफिक रूल तोड़ने वालों पर इस प्रकार लगेगा जुर्माना
ट्रैफिक रूल और रेगुलेशन के उल्लंघन करने पर न्यूनतम जुर्माना 100 रुपए से बढ़ाकर 500 रुपए कर दिया गया है। कई अपराधों के लिए अधिकतम जुर्माना 10,000 रुपए तय किया गया है। बिना लाइसेंस के वाहन चलाने पर जुर्माना 500 रुपए से बढ़ाकर 5,000 रुपए कर दिया गया है। सीट बेल्ट नहीं पहनने पर 1,000 रुपए का जुर्माना लगेगा। यह अब तक केवल 100 रुपए था। शराब पीकर वाहन चलाने पर जुर्माना 2000 रुपए से बढ़ाकर 10,000 रुपए तक किया गया है। इमरजेंसी वाहनों को पास नहीं देने पर 10 हजार रुपए जुर्माना के रूप में भी लगेगा। पिछले कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। गति सीमा से तेज चलाने पर हल्के वाहन के लिए 1000 रुपए, भारी वाहन के लिए 2000 रुपए जुर्माना देना होगा। अगर सड़क पर गाड़ियों में रेस लगाए जाने पर ड्राइवर को 5000 रुपए जुर्माना देना होगा। अगर वाहन का इंसुरेंस कवरेज की समय सीमा खत्म हो गई है फिर भी आप वाहन चला रहे हैं तो आपको 2000 रुपए जुर्माना भरना होगा। जुर्माने की राशि हर साल 10 प्रतिशत बढ़ाई जा सकती है। नए मोटर वाहन बिल के मुताबिक सड़क सुरक्षा नियमों के उल्लंघन करने वालों को सजा के तौर पर सामुदायिक सेवा प्रदान करनी होगी।
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए 8वीं पास होना जरूरी नहीं
1988 के कानून के तहत, ड्राइविंग लाइसेंस चाहने वाले व्यक्ति को 8वीं क्लास पास अवश्य पास होना चाहिए। इस संशोधन बिल में इस पात्रता मानदंड को भी दूर किया गया है। अब ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करने के लिए ड्राइविंग स्कूल से प्रमाणपत्र लेना ही काफी होगा। लाइसेंस के एक्सपायर होने के मामले में लाइसेंसधारियों के पास अब इसे नवीनीकृत करने के लिए एक वर्ष की अवधि होगी। आवेदक को नवीनीकृत ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने से पहले एक रिफ्रेसिंग कोर्स करने के लिए कहा जा सकता है। नया मोटर वाहन कानून उबर और ओला जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स के रेगुलेशन प्रदान करता है। उन्हें अब उन राज्यों की सरकारों से लाइसेंस लेना होगा जो वे संचालित करते हैं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम 2000 के अनुरूप भी हैं।
सड़क हादसे में मौत पर मुआवजे और बीमा कवरेज
मौजूदा कानून के तहत हिट एंड रन मामले में मौत होने पर क्षतिपूर्ति 25,000 रुपए है। इसे बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दिया गया है। चोटों के मामलों में मुआवजा 12,500 रुपए से बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया है। सभी सड़क यूजर्स को अनिवार्य बीमा कवरेज और सड़क हादसे के पीड़ितों को मुआवजा प्रदान करने के लिए केंद्रीय स्तर पर एक मोटर वाहन एक्सीडेंट फंड बनाई जाएगी। केंद्र सरकार गोल्डन ऑवर के दौरान सड़क हादसे के पीड़ितों के लिए कैशलेस इलाज की एक योजना शुरू करेगी। यह नए मोटर वाहन बिल में दुर्घटना के घटने के बाद के पहले एक घंटे के रूप में परिभाषित की गई है। सड़क हादसे के मामलों में घटना की तारीख से 6 महीने की समाप्ति तक मुआवजे के लिए दावा किया जा सकता है। यदि सड़क हादसे के शिकार व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो उसके कानूनी उत्तराधिकारी मुआवजे के लिए दावा दायर करने का हकदार होंगे।
हादसे के शिकार व्यक्ति को मदद वाले पर नहीं होगी कार्रवाई
जो व्यक्ति सड़क हादसे के शिकार व्यक्ति की मदद करने के लिए आगे आएंगे उन्हें नए कानून में अच्छा स्मार्ट व्यक्ति को तौर पर परिभाषित किया गया है। ऐसे व्यक्ति किसी भी सिविल या क्रिमनल कार्रवाई के लिए उत्तरदायी नहीं होंगे यदि हादसे में पीड़ित व्यक्ति को कोई भी चोट लगी हो या पीड़ित को सहायता प्रदान करने में उनकी ओर से अनजाने में लापरवाही के कारण मृत्यु हो गई हो। इससे सड़क हादसे के शिकार लोगों की मदद करने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने की संभावना बढ़ेगी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, हर साल करीब 1.5 लाख लोग सड़क हादसे में अपनी जान गंवाते हैं। देश ने पिछले चार वर्षों में प्रति वर्ष औसतन 4.5 लाख सड़क हदसे दर्ज किए गए हैं।
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