मध्य प्रदेश: पर्ची कटवाने के लिए नहीं थे 5 रुपए, अस्पताल के बाहर ही निकल गए दम

देश
आईएएनएस
Updated Jul 25, 2020 | 06:00 IST

Madhya Pradesh Guna Hospital: मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक व्यक्ति को जिला अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया, वह अपनी पत्नी और मासूम बच्चे के साथ अस्पताल के बाहर पड़ा रहा और आखिर में उसकी मौत हो गई।

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अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया 
मुख्य बातें
  • अस्पताल की पर्ची कटवाने के लिए परिवार के पास पांच रुपए नहीं थे
  • व्यक्ति को जिला अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया
  • पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इस घटना पर सवाल उठाया है

भोपाल/गुना: मध्य प्रदेश के गुना जिले में एक व्यक्ति को जिला अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया, वह अपनी पत्नी और मासूम बच्चे के साथ अस्पताल के बाहर पड़ा रहा और आखिर में उसकी मौत हो गई। कहा जा रहा है कि अस्पताल की पर्ची कटवाने के लिए उसके पास पांच रुपए नहीं थे। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने इस घटना पर सवाल उठाया है। घटना गुरुवार की है। कहा जा रहा है कि अशोक नगर निवासी सुनील धाकड़ टीबी पीडित था। बुधवार की देर रात को उसकी पत्नी अपने ढाई साल के मासूम के साथ उपचार के लिए जिला अस्पताल पहुंची। अस्पताल के कर्मचारियों ने उससे अस्पताल में उपचार व भर्ती कराने के लिए पांच रुपए की पर्ची कटवाने के लिए बोला गया, मगर महिला के पास पांच रुपए नहीं थे, वह अस्पताल कर्मचारियों से गुहार लगाती रही मगर किसी ने नहीं सुनी। सुबह होते तक सुनील ने दम तोड़ दिया। 

इस घटना को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने एक के बाद एक कुल तीन ट्वीट किए और सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा, क्या हालत हो गई प्रदेश की हमने तो ऐसा प्रदेश नहीं सौंपा था। आप विधायकों की खरीद-फरोख्त करते रहो, खुली बोलियां लगाते रहो, वही प्रदेश के गुना में जिला अस्पताल के सामने अशोक नगर निवासी एक महिला अपने ढाई साल के बच्चे के साथ अपने पति के इलाज के लिये दिन भर गुहार लगाती रही। 

उन्होंने आगे कहा पांच रुपए नहीं होने पर उसका इलाज का पर्चा नहीं बनाया गया और उसका इलाज नहीं किया गया और उसकी आंखो के सामने ही उसके पति ने तड़प- तड़प कर दम तोड़ दिया। यह है प्रदेश कि स्वास्थ्य सेवाएं , शिवराज सरकार में प्रदेश की स्थिति दावे बड़े- बड़े लेकिन धरातल पर स्थिति जीरो।

उन्होंने मुख्यमंत्री पर तंज सकते हुए कहा, खुद को मामा बताने वाले व खुद को बड़ा जनसेवक बताने वाले आंख खोलकर देखे यह सच्चाई , प्रदेश वासियो को झूठे हवाई सपने दिखाना बंद करे, जमीन पर लौट आये, प्रदेश को वापस गर्त में ना ले जाये , प्रदेश के गरीब वर्ग की चिंता करे, उन्हें कम से कम इलाज तो उपलब्ध करवाए। 

वहीं जिलाधिकारी कुमार पुरुषोत्तम ने इस मामले की बिंदुवार जांच कर तत्काल रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश सिविल सर्जन सह अधीक्षक जिला चिकित्सालय को निर्देश दिए हैं। साथ ही यह ब्यौरा भी मांगा गया है कि 22 जुलाई की रात को उस समय किस डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ व जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारी ड्यूटी पर थे।

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