नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में रविवार को नकाबपोश लोगों द्वारा की गई हिंसा के बाद काफी बवाल मच गया है। इस हमले में 30 से ज्यादा छात्र घायल हुए। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष भी इस हमले में घायल हुईं। हमलावरों ने यूनिवर्सिटी कैंपस और हॉस्टल में जमकर तोड़फोड़ मचाई। सोमवार को काफी शिकायतों के बाद दिल्ली पुलिस ने मामला दर्ज किया। मामले की जांच क्राइम ब्रांच द्वारा की जाएगी।
दिल्ली पुलिस अभी तक उन नकाबपोश घुसपैठियों की पहचान करने में विफल रही है जिन्होंने कैंपस में हिंसा की। अपराध शाखा ने अपनी जांच को दो भागों में विभाजित किया है।
पहली टीम सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल फोन पर मौजूद फुटेज की जांच करेगी। क्राइम ब्रांच के अधिकारी अभी परिसर के अंदर हैं। वहीं दूसरी टीम उन लोगों की पहचान करेगी जिन्हें पहले से ही पहचाना जा चुका है, जिनमें छात्र और कुछ बाहरी लोग शामिल हैं।
उनसे पूछताछ कर नकाबपोश घुसपैठियों की पहचान का पता चलेगा। इसके अलावा घायलों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं।
इस बीच JNU ने कैंपस में हुई हिंसा की विस्तृत रिपोर्ट और घटनाओं का क्रम मानव संसाधन विकास मंत्रालय को भेज दिया है। वहीं जेएनयू शिक्षक संघ ने राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को पत्र लिखकर हिंसा की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है। शिक्षकों ने वीसी एम जगदीश कुमार को भी बर्खास्त करने की मांग की है।
वहीं जेएनयू के साबरमती हॉस्टल के वरिष्ठ वार्डन आर मीणा ने यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि हमने कोशिश की, लेकिन छात्रों को सुरक्षा नहीं दे सके।
जेएनयू के वीसी एम जगदीश कुमार ने बयान जारी कर कहा, 'जेएनयू प्रशासन छात्रों की सुरक्षा के लिए सभी संभव साधनों का उपयोग करेगा। हम सभी को वास्तविक छात्रों के हितों की रक्षा के लिए एक साथ खड़े होने की आवश्यकता है।'
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