नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने गुरुवार को पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और नेशनल कांफ्रेंस के पांच नेताओं को रिहा किया। ये नेता अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पिछले पांच महीनों से हिरासत में थे। इन पांच नेताओं में से तीन नेता एनसी और दो पीडीपी के हैं। प्रशासन ने सलमान सागर (एनसी), निजामुद्दीन भट (पूर्व-एमएलसी पीडीपी), शौकत गेनाई (पूर्व-एमएलसी एनसी), अल्ताफा कल्लू (पूर्व-एमएलए एनसी), मुक्तइर बाबा (पीडीपी) की रिहाई की है। इन पांचों नेताओं को एमएलए हॉस्टल में हिरासत में रखा गया था।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इसके पहले 30 दिसंबर को मुख्य धारा के पांच अन्य नेताओं को रिहा किया। इन नेताओं को भी एमएलए हॉस्टल में रखा गया था। जम्मू-कश्मीर में स्थितियों के सामान्य होते देख प्रशासन हिरासत में रखे गए नेताओं को धीरे-धीरे रिहा कर रहा है। हालांकि, पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दु्ल्ला और महबूबा मुफ्ती को अभी भी अलग-अलग जगहों पर हिरासत में रखा गया है।
इन बड़े नेताओं की रिहाई पर केंद्र सरकार के मंत्रियों का कहना है कि इस बारे में फैसला स्थानीय प्रशासन लेगा। फारूक को गुपकार रोड स्थित उनके आवास पर हिरासत में रखा गया है जबकि उमर अब्दुल्ला को हरि निवास और महबूबा मुफ्ती को एमए रोड स्थित एक सरकारी आवास में रखा गया है।
गत 30 दिसंबर को जिन नेताओं की रिहाई हुई उनमें एनसी, कांग्रेस, पीडीपी के इशफाक जब्बार, गुलाम नबी भट, बशीर मीर, जहूर मीर और यासिर रेशी शामिल हैं। बड़े नेताओं की रिहाई के सवाल पर कुछ समय पहले गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का प्रशासन इस बारे में फैसला लेगा। शाह ने कहा कि उकसाने वाला बयान देने के चलते फारूक, उमर और महबूबा को 'थोड़े समय' के लिए हिरासत में लिया गया।
गत पांच अगस्त को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म कर दिया। सरकार को अंदेशा था कि उसके इस कदम से घाटी में कानून-व्यवस्था को चुनौती मिल सकती है क्योंकि पीडीपी, एनसीपी और अलगाववादी नेता अपने बयानों से भीड़ को हिंसा के लिए उकसा सकते हैं।
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