नई दिल्ली/बीजिंग : देश के गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश का दौरा किया है, जिससे चीन बौखलाया हुआ है। चीन ने इसे अपनी क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करार देते हुए शाह के अरुणाचल दौरे पर आपत्ति जताई। हालांकि भारत ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए साफ कर दिया है कि अरुणाचल प्रदेश इस देश का हिस्सा है और यहां गृह मंत्री के दौरे पर किसी भी दूसरे देश को दखल देने का कोई अधिकार नहीं है।
अरुणाचल में अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश के 34वें स्थापना दिवस पर यहां पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्वोत्तर के इस प्रदेश को देश का अभिन्न हिस्सा करार देते हुए कहा कि 2014 से पहले तक पूर्वोत्तर के क्षेत्र भारत के दूसरे हिस्सों से केवल भौगोलिक रूप से जुड़े हुए थे, वास्तवकि जुड़ाव तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के कार्यकाल में हुआ। उन्होंने यहां उग्रवाद, अंतरराज्यीय संघर्ष जैसी समस्याओं के खात्मे पर भी जोर दिया और कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए जब वे यहां वोट मांगने पहुंचेंगे तो पूर्वोत्तर उग्रवाद, अंतरराज्यीय संघर्ष जैसी समस्याओं से पूरी तरह मुक्त हो चुका होगा।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा
अमित शाह के अरुणाचल प्रदेश के दौरे को लेकर चीन की आपत्ति पर विदेश मंत्रालय की तरफ से भी प्रतिक्रिया आई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दो टूक कहा कि भारतीय नेता की अरुणाचल प्रदेश की यात्रा पर चीन की आपत्ति बेवजह है। अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न हिस्सा है, जिसे अलग नहीं किया जा सकता। भारतीय नेता नियमित तौर पर इस राज्य का दौरा करते रहते हैं, जैसे कि वे अन्य राज्यों का भी दौरा करते हैं। किसी भी भारतीय नेता के भारत के किसी राज्य के दौरे को लेकर किसी दूसरे देश की आपत्ति का कोई अर्थ नहीं रह जाता। ये बेमतलब की बातें हैं।
चीन को क्या है आपत्ति
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानते हुए उस पर अपना दावा करता है। चीन ने अरुणाचल प्रदेश को कभी भारतीय प्रदेश के तौर पर मान्यता नहीं दी। अपने इसी दावे के तहत उसने अमित शाह के अरुणाचल दौरे को चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन करार देते हुए इस पर आपत्ति जताई है। वह पहले भी अरुणाचल प्रदेश में भारतीय नेताओं के दौरे को लेकर ऐतराज जता चुका है। हालांकि भारत ने हर बार साफ किया है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि भारत और चीन के बीच करीब 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर सीमा विवाद है। इसके लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच 22 दौर की वार्ता हो चुकी है, पर यह बेनतीजा रही है।
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