नई दिल्ली: 'सपने वो नहीं होते जो आप सोते हुए देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।' ये लाइन भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा कही गई थी और आज उनकी चौथी पुण्यतिथि है। पूर्व राष्ट्रपति कलाम आज ही के दिन 4 वर्ष पूर्व एक अनंत यात्रा पर चले गए थे। एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम 'अबुल पाकिर जैनुलअब्दीन अब्दुल कलाम' था। डॉक्टर कलाम को 'मिसाइल मैन' के नाम से भी जाना जाता है।
मेहनत को बनाया अपना सार्थी
डॉक्टर ए पी जे अब्दुल कलाम का जीवन बहुत ही संघर्षों में गुजरा था। बचपन से लेकर बड़े होने तक वह लगातार संघर्ष करते रहे। उन्होंने मेहनत करने से कभी हार नहीं मानी और संघर्षों से भी कभी घबराए नहीं। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के कविता की एक शुरूआती पंक्ति है- 'हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा, काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं, मैं गीत नया गाता हूं।' पूर्व राष्ट्रपति पर अटल जी कि ये पंक्ति ये एकदम सटीक बैठती है। वाकई में डॉ. कलाम ने अपने जीवन में कभी हार नहीं मानी। उन्होंने हर चुनौतियों का डट कर मुकाबला किया और सफलतापूर्वक उस पर विजय भी प्राप्त किया।
कठिनाईयों में बीता जीवन
ए पी जे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम (तमिलनाडु) के धनुषकोडी गांव में एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुलाब्दीन अधिक शिक्षित नहीं थे और वह घर की रोजी- रोटी चलाने के लिए मछुआरों को नाव किराए पर दिया करते थे। कलाम पांच भाई और पांच बहन थे।
(तस्वीर साभार- पीटीआई)
पिता का जीवन में पड़ा प्रभाव
पूर्व राष्ट्रपति ए पी जे अब्दुल कलाम के जीवन में उनके पिता जैनुलाब्दीन का गहरा प्रभाव पड़ा। कलाम अपने पिता की मेहनत करने की लगन को देखकर काफी प्रभावित रहते थे। उन्हें पिता के दिए संस्कार जीवन में बहुत काम आए। एक बार कलाम के टीचर ने उनसे कहा था कि जीवन में अनुकूल नतीजे प्राप्त करने के लिए तीव्र इच्छा,आस्था, अपेक्षा को भली- भांति समझ लेना और उन पर प्रभुत्व स्थापित करना चाहिए।
अखबार बेचकर जुटाया पैसा
कलाम के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए वह रोज सुबह उठकर अखबार बेचा करते थे। उन्हें अखबार बेचकर जो भी पैसे मिलते थे, उसे वह अपनी पढ़ाई और किताबों को खरीदनें में लगाते थे।
वैज्ञानिक डॉक्टर कलाम
ए पी जी अब्दुल कलाम देश के प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे। उन्होंने करीब 4 दशक तक रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में काम किया और इस दौरान वह कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों में प्रमुख भूमिका निभाई। वह भारत के नागरिक अंतरिक्ष कार्यक्रम और सैन्य मिसाइल के विकास के प्रयास में प्रमुख रूप से शामिल रहे। डॉक्टर कलाम के बैलैस्टिक मिसाइल और प्रक्षेपण यान प्रोद्योगिकी के विकास कार्यों के लिए 'मिसाइल मैन' के नाम से जाना जाता है।
(तस्वीर साभार- पीटीआई)
परमाणु परीक्षण
ए पी जी अब्दुल कलाम ने 1974 में भारत द्वारा पहले परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान- द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भारत के लिए अतुलनीय काम किया। वह भारत को महाशक्ति बनाना चाह रहे थे। इसलिए उन्होंने साल 2020 तक भारत के लिए 20- 20 का लक्ष्य रखा था।
बच्चों के काका कलाम
डॉक्टर कलाम को बच्चों से खासा लगाव था। उनको बच्चों के साथ अपना समय बिताना खासा पसंद था। उन्हें जब भी छात्रों से बात करने का अवसर प्राप्त होता था वह इसका पूरा फायदा उठाते थे। वह छात्रों को आगे बढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित करते थे, इसलिए वह कहते थे कि 'देश को सबसे अच्छा दिमाग क्लास रूम की आखिरी बेंच पर मिल सकता है।'
राष्ट्रपति बनने के बाद भी वह लगातार छात्रों से मिलते थे। वह राष्ट्रपति भवन में भी छात्रों को बुलाकर बात किया करते थे और शायद यही वजह है कि छात्रों के काफी प्रिय थे। बच्चे और छात्र उन्हें 'काका कलाम' कहते थे। वह लिखने, पढ़ने और पढ़ाने में खासी दिलचस्पी रखते थे इसलिए वह अपना राष्ट्रपति का कार्यकाल खत्म होने के बाद फिर इसी संसार में लौट आए थे। जब वह राष्ट्रपति थे तभी वह लगातार रिसर्च करते रहते थे।
(तस्वीर साभार- पीटीआई)
आखिरी वक्त तक पढ़ाया
डॉक्टर कलाम को कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। वह 2002 से 2007 तक भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे। उन्हें 1997 में भारत सरकार ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था। उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण दिया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि वह अपने आखिरी क्षणों में भी बच्चों के बीच थे। 27 जुलाई 2015 को जब वह मेघायल के शिलांग के आईआईएम में लेक्चर देने गए थे, उसी वक्त उनको दिल का दौरा पड़ गया था। कलाम 84 वर्ष की आयु में सबको छोड़कर एक अनंत यात्रा पर चले गए।
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