नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों में महागठबंधन 110 सीटों पर सिमट गया और सरकार बनाने से चूक गया। इस हार के बाद कांग्रेस न सिर्फ अपने सहयोगी आरजेडी के निशाने पर आ गई बल्कि अपनों ने भी निशाना साधा। हालात यह है कि कांग्रेस में अब इस मुद्दे पर दो तरह की राय बनती हुई नजर आ रही है। कपिल सिब्बल ने जब कहा कि क्या हम यूं ही हारते रहेंगे, अब जो पार्टी की स्थिति है उसमें हमें विचार मंथन की जरूरत है। लेकिन सिब्बल के विरोध में अशोक गहलोत, सलमान खुर्शीद के साथ साथ लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी आ गए हालांकि एक हिंदी अखबार से बातचीत नें पी चिदंबरम ने कहा कि बिहार के नतीजों से ऐसा लगता है कि पार्टी जमीन पर कहीं नहीं है।
कांग्रेस को 45 सीटों पर लड़ना चाहिए था चुनाव
पी चिदंबरम ने कहा कि पार्टी को 70 सीटों की जगह सिर्फ 45 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए था। उसके पीछे वो तर्क देते हैं कि जिन 20 सीटों पर हार हुई है वो एनडीए का गढ़ रहा है। वो कहते हैं कि ऐसा लगता है कि पार्टी अपनी क्षमता से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी और नतीजा सामने है। चिदंबरम से जब सवाल किया गया कि कोरोना, आर्थिक मंदी जैसे मुद्दों के बाद भी कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा तो इसका जवाव उन्होंने कुछ यूं दिया वो कहते हैं कि उनके लिए सबसे बड़ा विषय उपचुनावों के नतीजे हैं।
बिहार चुनाव में हार पर अलग अलग राय
अगर बिहार के नतीजों को एक पल के लिए छोड़ भी दिया जाए तो उपचुनाव के नतीजों से पता चलता है कि हम जमीनी स्तर पर कमजोर साबित हो रहे हैं और इस तरह के नतीजों की तो समीक्षा होनी ही चाहिए। यहां बता दें कि कांग्रेस के उम्मीदवार 70 सीटों पर चुनाव लड़े थे और सिर्फ 19 सीटों पर जीत दर्ज कर सके। पी चिदंबरम ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि अगर पार्टी में कोई शख्स सच को सामने रखता है तो उसके प्रतिवाद से बेहतर है कि उसकी बातों को सुना जाए। बता दें कि कपिल सिब्बल के बयान पर निशाना साधते हुए सलमान खुर्शीद ने कहा था कि जो लोग पार्टी के अंदर रहकर कांग्रेस की जड़ों को खोखली कर रहे हैं वो पार्टी छोड़कर खुद बाहर चले जाएं।
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