एंटीबॉडी कौन ज्यादा बना रहा कोविशील्ड या कोवाक्सिन, अध्ययन में सामने आई बात

कोरोना वायरस (Corona Virus) टीकों कोवाक्सिन (Covaxin) और कोविशील्ड के असर को लेकर हुए एक अध्ययन में बड़ी बात सामने आई है। यह पाया गया है कि कोविशिल्ड, कोवाक्सिन की तुलना में ज्यादा एंटीबॉडी बनाता है।

Corona Vaccine Covishield shows better antibody response than Covaxin: study
एंटीबॉडी कौन ज्यादा बना रहा कोविशील्ड या कोवाक्सिन?  |  तस्वीर साभार: PTI
मुख्य बातें
  • भारत में इन दिनों लोगों को लगा रहा कोवाक्सिन और कोविशील्ड टीका
  • अध्ययन की मानें तो कोविशील्ड का टीका में शरीर में ज्यादा एंटीबॉडी बनाता है
  • टीकों का असर जानने के लिए देश भर के स्वास्थ्यकर्मियों पर हुआ अध्ययन

मुंबई/हैदराबाद : कोरोना के टीके कोविशील्ड और कोवाक्सिन वायरस के खिलाफ काफी असरदार हैं। ये दोनों टीके शरीर में 95 प्रतिशत तक प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर सकते हैं। इनके लगने के बाद व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार नहीं पड़ता है। ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन कोविशील्ड भारत बॉयोटेक के टीके कोवाक्सिन के मुकाबले ज्यादा एंटीबॉडीज बनाती है। कोरोना वायरस वैक्सीन इंड्युस्ड एंटीबॉडी टाइट्रे (COVAT) के अध्ययन में ये बातें सामने आई हैं। लोगों पर कोरोना टीकों का असर जानने के लिए अब तक ज्यादा दर अध्ययन प्रयोगशाला आधारित हुए हैं जबकि यह अध्ययन टीका लगवा चुके स्वास्थ्यकर्मियों पर किया गया है।

अध्ययन में 515 स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया गया
अध्ययन में टीका लगवा चुके 13 राज्यों के 22 शहरों के 515 स्वास्थ्यकर्मियों को शामिल किया गया। इनमें 425 स्वास्थ्यकर्मियों को कोविशील्ड और 90 को कोवाक्सिन की डोज लगी थी। अध्ययन में पाया गया कि इन दोनों टीकों का दूसरा डोज लगने के 21 से 36 दिनों बाद स्वास्थ्यकर्मियों की प्रतिरोधक क्षमता 95 प्रतिशत तक बढ़ गई। रिसर्चर्स ने पाया कि कोविशील्ड लगे व्यक्तियों में सीरोपॉजिटिविटी 98 प्रतिशत तक बढ़ गई। वहीं जिनको कोवाक्सिन लगा था उनमें यह दर 80 फीसदी थी।

सीरोपॉजिटिविटी रेट कोविशील्ड लगे व्यक्तियों में ज्यादा
यही नहीं, कोविशील्ड में एंटी-स्पाइक एंटीबॉडी टाइट्रे कोवाक्सिन की तुलना में ज्यादा पाई गई। कोविशील्ड लगे व्यक्तियों में एंटी-स्पाइक टाइट्रे की मात्रा (115 AU/ml) जबकि कोवाक्सिन में यह मात्रा (51 AU/ml)थी। सीरोपॉजिटिविटी रेट 60 साल से कम उम्र वाले लोगों में 96.3 प्रतिशत जबकि 60 साल से ज्यादा के व्यक्तियों में 87.2 प्रतिशत पाई गई। यही नहीं टीका लगने के बाद 5 पांच स्वास्थ्यकर्मियों में दोबारा संक्रमण देखा गया लेकिन टीका ले चुके ये लोग गंभीर रूप से बीमार नहीं हुए।

'कौन सा टीका बेहतर, अध्ययन यह नहीं बताता'
कोलकाता के जीडी अस्पताल एवं डाइबिटीज इंस्टीट्यूट में एंडोक्राइनोलाजिस्ट और इस अध्ययन के मुख्य लेखक डॉक्टर अवधेश कुमार  सिंह का कहना है कि यह अध्ययन यह बताने के लिए नहीं है कि कौन सी वैक्सीन ज्यादा अच्छी है। यह अध्ययन वास्तविक दुनिया में टीके के असर को बताता है। डॉक्टर ने कहा कि इन दोनों टीकों में कौन ज्यादा बेहतर यह बताना मुश्किल है। उन्होंने कहा, 'अध्ययन में शामिल ऐसे लोग जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ था, उन पर कोरोना के दोनों टीकों ने समान रूप से अच्छा काम किया। यहां तक कि इन टीकों का पहला डोज शरीर में उच्च एंटीबॉडी बनाया।'    

 

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