नई दिल्लीः राजस्थान में कांग्रेस पार्टी में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। कर्नाटक के सियासी नाटक के बाद भाजपा की नजरें उन हिंदी भाषी राज्यों पर भी लगी हुई हैं, जहां पर एक साथ चुनाव हुए थे और कांग्रेस को बड़ी सफलता हासिल हुई थी। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ को भाजपा का गढ़ माना जाता था। इन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी पिछले 15 साल से काबिज थी। लेकिन सत्ता विरोधी लहर की वजह से भाजपा को इन तीन बड़े राज्यों में सत्ता से हाथ धोना पड़ा था।
इन राज्यों में छत्तीसगढ़ को छोड़ दें तो अन्य दोनों राज्यों मध्य प्रदेश और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी कर्नाटक की तरह नाटक करके सत्ता हासिल करने की कोशिश कर सकती है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभी हाल ही में इस बात के संकेत भी दे दिए हैं। शिवराज सिंह चौहान को भाजपा के दो विधायकों का कांग्रेस के पक्ष में मतदान करना बहुत बुरा लगा है। इसी बात पर शिवराज सिंह ने कहा है कि जो खेल कांग्रेस की तरफ से खेला गया है उसका अंत अब हम करेंगे। वहीं, कांग्रेस के कट्टर समर्थन कम्प्यूटर बाबा के कहा है कि भाजपा के चार और विधायक उनके संपर्क में हैं और जल्द ही वो पार्टी छोड़ने का ऐलान कर सकते हैं।
इससे भाजपा नेताओं की भौंहे तन गई हैं। अब कर्नाटक का टेंशन खत्म हो गया है, तो भाजपा के जोड़-तोड़ वाले नेता मध्य प्रदेश का रुख कर सकते हैं और कमलनाथ सरकार को अस्थिर करने की पूरी कोशिश की जा सकती है। विधानसभा में कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत नहीं है और कई दलों के विधायकों का समर्थन हासिल है। बहुत हद तक यह संभव है कि कांग्रेस के अलावा अन्य दलों के विधायकों को तोड़कर अपनी तरफ करने की कोशिश हो। लेकिन जब सत्ताधारी पार्टी के विधायकों को तोड़ने में भाजपा नेता कामयाब हो जा रहे हैं तो यह भी संभव हो कि मध्य प्रदेश में भी सत्ताधारी पार्टी के विधायकों को तोड़ने की पूरी कोशिश की जाए। लेकिन एक बात यह भी है कि मध्य प्रदेश की भाजपा की लीडरशिप कितनी मजबूत है। कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा सत्ता जाने के बाद से ही सरकार को निशाने पर लिए हुए थे और बेदखल करने के बाद ही उन्होंने दम लिया।
इसी तरह से राजस्थान में सत्ताधारी पार्टी के अंदर कलह की वजह से सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा सकती है। लेकिन राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस के विधायकों के संख्याबल में काफी बड़ा फासला है। इसके साथ राजस्थान में भाजपा की लीडरशिप कितनी मजबूती से इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में रुचि रखती है। अगर राजस्थान में भाजपा किसी मजबूत नेता को आगे करके ऑपरेशन लोटस को अंजाम तक पहुंचाने की जिम्मेदारी दे तो कांग्रेस के भीतर उपजे अंदरूनी कलह की वजह से कुछ भी असंभव नहीं है।
अब इन हिंदी भाषी राज्यों में भाजपा सत्ता हासिल करने की कोशिश कर सकती है, लेकिन यह काम बहुत आसान नहीं होगा, क्योंकि इन दोनों राज्यों में कांग्रेस लीडरशिप न तो कमजोर है और न ही जोड-तोड़ करने में ही कम है। भारतीय जनता पार्टी राज्यों में सरकार बनाकर एक तीर से कई निशाना साधने की कोशिश कर रही है। पहला यह कि उसका कांग्रेस मुक्त भारत का सपना पूरा होगा। दूसरा राज्यों की सरकारों के बल पर वह राज्यसभा में अपनी स्थिति को इतना मजबूत कर लेना चाहती है कि आने वाले कई वर्षों तक अगर केंद्र में सरकार न भी बने तो राज्यसभा में बहुमत के बल पर सरकार के कामकाज में बराबर का दखल बना रहे।
Times Now Navbharat पर पढ़ें India News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।