नई दिल्ली: दिल्ली में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के लिए दिल्ली में खासे आंदोलन चलाए गए थे उसी में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर के संगठन ने पुलिस की अनुमति के बिना जामा मस्जिद से जंतर मंतर तक एक मार्च का आयोजन किया था जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
चंद्रशेखर ने दावा किया था कि पुलिस ने कानून को ताक पर रखकर उन्हें गिरफ्तार किया है वो गत 21 दिसंबर से हिरासत में थे, दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को जमानत दे दी थी इसके बाद चंद्रशेखर आजाद गुरुवार को तिहाड़ जेल से रिहा हो गए हैं।
चंद्रशेखर को 16 फरवरी तक दिल्ली में कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करने का आदेश दिया गया है।इस मौके पर जेल के बाहर मौजूद उनके समर्थक खासे उत्साहित दिखे। चंद्रशेखर ने जेल से बाहर आकर कहा कि कल दोपहर 1 बजे जामा मस्जिद का दौरा करूंगा। बाद में मैं रविदास मंदिर,एक गुरुद्वारा और एक चर्च भी जाऊंगा।
इससे पहले बुधवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने आजाद को जमानत दी थी लेकिन उन्होंने इस राहत के साथ दलित नेता के लिए कुछ शर्तें रख दीं। आजाद के संगठन ने गत 20 दिसंबर को पुलिस की इजाजत के बिना मार्च निकालने की कोशिश की थी। इस मामले में अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई थी जिन्हें गत नौ जनवरी को जमानत मिली।
पुलिस उन्हें सहारनपुर छोड़कर आएगी
कोर्ट ने चंद्रशेखर को दिल्ली में रुकने पर रोक लगाने के साथ-साथ 16 फरवरी तक किसी तरह का प्रदर्शन आयोजित न करने का आदेश दिया है। न्यायाधीश ने कहा, 'ये विशेष प्रावधान किए जा रहे हैं। मैं नहीं चाहती कि दिल्ली चुनावों के दौरान किसी तरह की परेशानी खड़ी हो।' न्यायाधीश ने कहा कि दलित नेता ने यदि किसी तरह के धरने की योजना बनाई है तो वह उसे एक महीने के लिए स्थगित कर दें।
उन्हें एक महीने तक प्रत्येक शनिवार पुलिस के सामने पेश होना होगा। जज ने आजाद से संविधान और प्रधानमंत्री का सम्मान करने के लिए कहा। दलित नेता को 25 हजार रुपए बॉन्ड पर जमानत दी गई है।
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