हैदराबाद: अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने रविवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल करने का फैसला किया। उसके बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार को दावा किया कि बाबरी मस्जिद-रामजन्मभूमि भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का मतलब 'पूर्ण न्याय' नहीं, जिसके लिए अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करने की आवश्यकता हुई। संविधान का अनुच्छेद 142 अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने के लिए सुप्रीम कोर्ट को दी गई शक्ति से संबंधित है। किसी भी पेंडिंग मामले या किसी केस में पूर्ण न्याय करने के लिए आवश्यक आदेश पारित किया जाता है।
उन्होंने ने ट्वीट किया कि बाबरी मस्जिद टायटल सूट में सुप्रीम कोर्ट का फैसला किसी भी तरह से पूर्ण न्याय नहीं है। अनुच्छेद 142 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल किया जाना आवश्यक है। यह सबसे बड़ा अधूरा न्याय है या सबसे खराब पूर्ण अन्याय है। ओवैसी अयोध्या फैसले पर मीडिया रिपोर्टों का जवाब दे रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि टायटल मामले में अपने फैसले में कहा कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन को भगवान राम लल्ला को सौंप दिया जाना चाहिए, जो तीन वादियों में से एक थे। साथ ही पांच जजों की बैंच ने मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीव सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया।
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