तकिया कब बनता है बीमारियों की वजह?
Can Pillows Get Expired: दिवाली आ रही है, और हर घर में सफाई का दौर शुरू हो चुका है। कोई पर्दे धो रहा है, तो कोई फर्नीचर पोंछ रहा है। घर का हर कोना चमकाया जा रहा है ताकि घर एकदम नया लगे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस चीज पर आप हर रात सिर रखकर सोते हैं वो 'तकिया' भी सफाई या बदलाव के लायक है?
हम सब दूध, दवा या ब्यूटी प्रोडक्ट की एक्सपायरी तो चेक करते हैं, लेकिन तकिए की नहीं। जबकि वही तकिया रोजाना आपके चेहरे, बाल, और फेफड़ों के संपर्क में आता है। हेल्थ इन्फ्लूएंसर और ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉक्टर मनन वोहरा बताते हैं कि तकिए के अंदर हर रात आपकी डेड स्किन, पसीना, तेल और डस्ट माइट्स जमा होते हैं। समय के साथ ये गंदगी सिर्फ तकिए को नहीं, बल्कि आपकी नींद, त्वचा और सेहत को भी नुकसान पहुंचाती है।
तो इस दिवाली, सिर्फ घर की सफाई ही नहीं, अपने तकिए की सफाई या बदलने पर भी ध्यान दें, क्योंकि कि ये छोटा-सा बदलाव आपकी ज़िंदगी में बड़ा फर्क ला सकता है।
हम में से ज्यादार लोगों को लगता है कि तकिया एक बार खरीद लो, तो सालों चल जाएगा। लेकिन सच्चाई ये है कि हर तकिए की भी एक आयु (expiry) होती है। डॉ. मनन वोहरा कहते हैं, 'आप खाने-पीने की चीजों की एक्सपायरी डेट चेक करते हैं, लेकिन उस तकिए की नहीं, जिसके साथ आप रोज 8 घंटे बिताते हैं। तकिया भी वक्त के साथ टूटता है, गंदगी जमा करता है और धीरे-धीरे सेहत के लिए हानिकारक बन जाता है।'
दरअसल, तकिए के अंदर समय के साथ नमी और तेल की वजह से बैक्टीरिया, फंगस और डस्ट माइट्स पनपने लगते हैं। यही कारण है कि पुराना तकिया एलर्जी, एक्ने, और सांस की दिक्कतों का कारण बन सकता है।
शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. श्रेय श्रीवास्तव बताते हैं कि जब हम सोते हैं, तो हमें लगता है कि सब शांत है, लेकिन असल में तकिए के अंदर बहुत कुछ चल रहा होता है। हर रात उसमें कुछ जमा होता है,
धीरे-धीरे ये सब मिलकर हमारे प्यारे से तकिए को एक 'छिपे हुए जर्म बॉक्स में बदल देते हैं। यानी, दिखने में साफ लगने वाला तकिया असल में बैक्टीरिया और फंगस का घर बन चुका होता है।
हम सब सोचते हैं कि तकिया जब तक फट न जाए, तब तक चलता रहेगा। लेकिन असलियत ये है कि हर तरह का तकिया अपनी एक्सपायरी डेट के साथ आता है। डॉ. मनन वोहरा बताते हैं कि अलग-अलग तकिए की लाइफ अलग होती है। आइए जानें कितने समय बाद आपको तकिया बदल देना चाहिए,
बता दें कि समय के साथ तकिए के अंदर भरा मटेरियल टूटने लगता है और उसमें केमिकल कंपाउंड्स निकलने लगते हैं, खासकर सिंथेटिक वाले तकियों में। ये कंपाउंड्स आपकी त्वचा और फेफड़ों के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। इसलिए हर 1–2 साल में अपने तकिए की हालत जरूर चेक करें, अगर वह दब गया है, गंध आने लगी है या नींद में सिरदर्द होने लगा है, तो समझिए अब उसे बदलने का वक्त आ गया है।
कई लोग नींद की दिक्कत या बार-बार छींक आने को मौसम या एलर्जी समझ लेते हैं, जबकि असली वजह तकिया भी हो सकता है। पुराने और गंदे तकिए से हो सकते हैं ये नुकसान,
दिवाली का वक्त सिर्फ घर की सफाई नहीं, बल्कि सेल्फ-केयर का भी सही मौका है। तो इस बार कुछ सिंपल स्टेप्स के साथ अपने तकिए को भी त्योहार का हिस्सा बनाइए,
दिवाली पर हर कोई नया पर्दा, कुशन, या बिस्तर खरीदता है। लेकिन तकिए को अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। हकीकत ये है कि अच्छी नींद सिर्फ महंगे बेड या गद्दे से नहीं, सही तकिए से भी आती है। नया, साफ और आरामदायक तकिया आपकी नींद, मूड और ऊर्जा तीनों को बेहतर बना सकता है। साथ ही यह भी याद रखिए कि रात की सुकूनभरी नींद आपके रिश्तों, काम और मानसिक शांति तक को प्रभावित करती है।
हम अक्सर दिवाली पर घर सजाते हैं ताकि वह बाहर से सुंदर लगे, पर असली सफाई तो वो होती है जो अंदर से सुकून दे - चाहे वो दिल की हो या तकिए की। पुराना तकिया बदलना एक छोटा कदम है, लेकिन इसका असर बड़ा है। इस दिवाली, सिर्फ घर की दीवारें नहीं अपनी नींद और सेहत को भी नया रूप दीजिए। क्योंकि तकिया वही है जो हर रात आपकी थकान सुनता है, और सुबह आपको नई ऊर्जा देता है।
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