जानिए कौन है कट्टरपंथी साद रिजवी
इस्लामिक दुनिया बादशाह बनने का ख्वाब देख रहा पाकिस्तान अंदरुनी बगावत और हमले का शिकार हो रहा है। पाकिस्तान में एक बार फिर वो पुराना दौर लौटता दिख रहा है जब कट्टरपंथी पुलिस और सरकार पर मौत बनकर टूट पड़ते थे। इस बार भी वजह ऐसी है जिसका पाकिस्तान की आम समस्या या आम जनता से से कोई लेना देना नहीं है। टीएलपी के सदस्यों और समर्थकों ने शुक्रवार को लाहौर से इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास तक लगभग 400 किलोमीटर की यात्रा शुरू की थी, और इसी दौरान इनकी पुलिस से भिड़ंत हो गई। पाकिस्तान में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के केंद्र में रहने वाला नेता था साद रिजवी (Saad Rizvi) जिसने इस भीड़ का नेतृत्व किया। आखिर क्यों मचा है पाकिस्तान में कोहराम, कौन है साद रिजवी और क्यों इसने इस्लामाबाद की सड़कों को युद्ध के मैदान में तब्दील कर दिया, विस्तार से जानते हैं।
दरअसल, कट्टरपंथी इस्लामी टीएलपी के हजारों सदस्य इजराइल विरोधी प्रदर्शन करते हुए लाहौर की सड़कों पर उतर आए। टीएलपी का कहना है कि गाजा शांति समझौता फिलिस्तीन के साथ धोखा है और पाकिस्तान को इसमें शामिल नहीं होना चाहिए। इसी मांग को लेकर टीएलपी सरगना साद रिजवी ने लाहौर से इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास तक के मार्च का ऐलान किया था। लेकिन ये मार्च पूरी तरह हिंसक प्रदर्शन में बदल गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया और उन पर लोहे की छड़ों से हमला किया। जवाब में पुलिस ने प्रदर्शनकारी हमलवारों पर आंसू गैस के गोले छोड़े। पुलिस की गोलीबारी में करीब पांच प्रदर्शनकारी मारे गए। बताया जा रहा है कि साद रिजवी को भी गोली लगी है और वह गंभीर रूप से घायल है।
टीएलपी एक अति-दक्षिणपंथी इस्लामी पार्टी है जो सुन्नी इस्लाम के बरेलवी मत को मानती है। इसकी स्थापना 2015 में इस्लामी विद्वान खादिम हुसैन रिजवी ने की थी, जिसका 2020 में निधन हो गया था। हालांकि पाकिस्तान अपनी कानूनी व्यवस्था में शरिया कानून के कुछ हिस्सों को शामिल करता है, लेकिन टीएलपी देश को सख्त शरिया कानून के तहत चलाने की मांग करती है। टीएलपी का सरगना इसके संस्थापक का बेटा साद रिजवी है। ये संगठन किसी भी ईशनिंदा कानून में बदलाव का कड़ा विरोध करता है। टीएलपी इस्लाम या पैगंबर का अपमान करने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए मृत्युदंड की मांग करती है। पिछले कुछ दशकों में पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून के तहत हजारों लोगों पर मुकदमा चलाया गया है, जिनमें से कुछ को आजीवन कारावास या मृत्युदंड का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तान में फिलहाल ईशनिंदा कानून के तहत करीब 750 लोग जेल में हैं। यह संगठन सरकार पर दबाव बनाने के लिए विरोध प्रदर्शनों के इस्तेमाल के लिए जाना जाता है, जो अक्सर हिंसक हो जाते हैं। पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों की आलोचना करने पर पंजाब के राज्यपाल सलमान तासीर की हत्या करने वाले पुलिस गार्ड मुमताज कादरी का बचाव करने के बाद यह संगठन सुर्खियों में आया था।
2017 में इस्लामाबाद में फैजाबाद इंटरचेंज को ब्लॉक करने के बाद भी इस पार्टी ने ध्यान खींचा था। पार्टी ने दावा किया था कि चुनावी शपथ समारोह में बदलाव पैगंबर के लिए अपमानजनक थे। इसके परिणामस्वरूप कानून मंत्री जाहिद हामिद ने इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, आखिर में सेना को विरोध प्रदर्शनों को कुचलने के लिए आगे आना पड़ा। इस संगठन ने 2018 में पैगंबर के सम्मान की रक्षा और ईशनिंदा कानून के बचाव के लिए अभियान चलाया था। टीएलपी, जिसकी अपनी कोई सशस्त्र शाखा नहीं है, उसे पाकिस्तानी सेना का एक हिस्सा माना जाता है। सेना ने 2018 में पीटीआई को बढ़त दिलाने के लिए टीएलपी का इस्तेमाल पीएमएल-एन के प्रतिकार के रूप में किया था।
31 वर्षीय साद रिजवी इस पार्टी का अध्यक्ष है। 2020 में अपने पिता की मौत के बाद मौलाना साद ने पार्टी की कमान संभाली थी। उस वक्त वह एक कम मशूहर मौलवी था। हालांकि अब उसका रुतबा बढ़ा गया है। पहले उसका आधार पंजाब में था, अब साद धीरे-धीरे पूरे देश में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है। अपने पिता की तरह साद ने भी खुद को पाकिस्तान के ईशनिंदा कानूनों और पैगंबर के सम्मान के रक्षक के रूप में स्थापित किया है। साद को 2018 में एक डच अदालत ने उसकी गैरमौजूदगी में हत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया था। उसने कथित तौर पर एक दक्षिणपंथी डच राजनेता की हत्या का आह्वान किया था। 2024 में टीएलपी पाकिस्तान में चौथी सबसे बड़ी और पंजाब में तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में उभरी। यह देश का सबसे बड़ा धार्मिक राजनीतिक संगठन है। हजारों कट्टरपंथी युवा इसकी रैलियों में उमड़ पड़ते हैं। टीएलपी फिलिस्तीन के समर्थन और इजराइल के खिलाफ रैलियां कर रही है। टीएलपी ने दावा किया है कि अब तक उसके 250 से ज्यादा कार्यकर्ता मारे गए हैं और 1,500 से अधिक घायल हुए हैं। मौलाना साद को भी गोली मारी गई है। हालांकि अधिकारियों की ओर से अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है।
दिलचस्प बात यह है कि टीएलपी पर पाकिस्तान में अप्रैल 2021 में प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसे नवंबर 2021 में फिर से बहाल कर दिया गया। उस समय, साद पाकिस्तान के आतंकवाद-रोधी कानूनों के तहत जेल में बंद था। इसके विरोध में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें कई पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई। तत्कालीन इमरान खान सरकार ने सेना के इशारे पर प्रतिबंध हटा भी दिया था। इसके साथ ही पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ईसीपी) ने अक्टूबर 2023 में टीएलपी को राज्य-विरोधी गतिविधियों से भी आरोप मुक्त कर दिया था। यह पार्टी लगातार धार्मिक अल्पसंख्यकों को निशाना बनाती रही है, जिनमें पाकिस्तान का सबसे बड़ा धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय अहमदिया भी शामिल है। यह पार्टी पाकिस्तान में दो दर्जन से अधिक चर्चों को जलाने की घटनाओं के लिए भी जिम्मेदार है। ईशनिंदा कानून में बदलावों का विरोध करने के लिए लिंचिंग और भीड़ द्वारा न्याय के इस्तेमाल सहित इसके लगातार हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बावजूद सेना इस संगठन को तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के उलट अपने गैनकानून कामों को पूरा करने के साधन के रूप में देखती है।
इस पार्टी ने विदेशों में कुरान के अपमान के विरोध में कई हिंसक रैलियां की हैं, जिनमें 2021 में फ्रांसीसी और डेनिश दूतावासों के खिलाफ कई रैलियां शामिल हैं। इस विरोध प्रदर्शन में कई पुलिस अधिकारियों सहित 20 से ज्यादा लोग मारे गए थे। अमेरिका ने 2019 में टीएलपी को उसकी हिंसक रणनीति और उग्रवाद के कारण आतंकवादी संगठन घोषित किया था। हालांकि, वाशिंगटन ने 2021 में टीएलपी को इस सूची से हटा दिया।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें छोटी बड़ी सभी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। एक्सप्लेनर्स (Explainer News) अपडेट और चुनाव (Elections) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से।