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कौन हैं पॉल कपूर? जिसे दक्षिण एशिया का प्रभारी बनाकर ट्रंप ने दिया PAK को झटका, दिल्ली से है खास कनेक्शन

कपूर की यह नियुक्ति भारत के लिए जहां अच्छी बात है, वहीं पाकिस्तान के लिए यह बुरे सपने से कम नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि कपूर एक बड़े थिकटैंक, लेखक और सबसे बड़ी बात पाकिस्तान और उसके आतंकवाद के कटु आलोचक हैं। दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स और पाकिस्तान के आतंकवाद पर वह करीबी नजर रखते आए हैं

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दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए US ने एस पॉल कपूर को अपना दूत नियुक्त किया है। तस्वीर-AP

S Paul Kapur : हाल के दिनों में अमेरिका ने पाकिस्तान को दो बड़े झटके दिए हैं। अमेरिका ने दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए अपना दूत एस पॉल कपूर को नियुक्त किया है और उसने PAK को नई AMRAAM मिसाइलें बेचने से भी इंकार कर दिया है। अमेरिका के साथ नजदीकी बढ़ाने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान के लिए ये दोनों फैसले बड़े झटके की तरह हैं। दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए यूएस सीनेट ने भी कपूर की नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। इस महत्वपूर्ण पद पर कपूर, डोनाल्ड लू की जगह लेंगे। लू को बाइडेन प्रशासन ने नियुक्त किया था। कपूर अब ट्रंप प्रशासन के अधिकारी होंगे।

भारत-पाक सहित दक्षिण-मध्य एशिया पर होगी नजर

कपूर की यह नियुक्ति भारत के लिए जहां अच्छी बात है, वहीं पाकिस्तान के लिए यह बुरे सपने से कम नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि कपूर एक बड़े थिकटैंक, लेखक और सबसे बड़ी बात पाकिस्तान और उसके आतंकवाद के कटु आलोचक हैं। दक्षिण एशिया की जियोपॉलिटिक्स और पाकिस्तान के आतंकवाद पर वह करीबी नजर रखते आए हैं और अपनी किताबों में आतंक के इस नेटवर्क में पाकिस्तान की संलिप्तता भी उजागर कर चुके हैं। 56 साल के कपूर भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, अफगानिस्तान, श्रीलंका, मालदीव सहित मध्य एशिया के कई देशों के लिए ट्रंप के 'आंख-कान' की तरह काम करेंगे। कपूर का भारत से खास कनेक्शन है। वह दिल्ली में पैदा हुए। पैदा होने के बाद वह यूएस चले गए। कपूर भी मानते हैं कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकियों का इस्तेमाल छद्म रूप में करता है। उनका यह नजरिया भारतीय विदेश मंत्रालय की नीति से मेल खाता है। वह कई मौकों पर आतंकवाद में संलिप्तता को लेकर पाकिस्तान की मुखर आलोचना कर चुके हैं।

कौन हैं कपूर

कपूर भारतीय मूल के अमेरिकी अकेडमियन, लेखक और राजनीतिक चिंतक हैं। कैलिफोर्निया के मोंटेरी में यूएस नेवल पोस्टग्रेजुएट स्कूल में वह राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के प्रोफेसर हैं। वह रक्षा विभाग के यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक डॉयलॉग को भी देखते आए हैं। वह स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के हूवर संस्थान के विजिटिंग फेलो भी हैं। दिल्ली में जन्में कपूर के पिता भारतीय और मां अमेरिकी हैं। अपनी नियुक्ति की पुष्टि वाली सुनवाई के दौरान उन्होंने यूएस सीनेट को बताया कि उनकी शिक्षा अमेरिका में हुई है। साथ ही वह कई बार भारत की यात्रा पर जा चुके हैं। कपूर ने कहा कि 'उन्हें नहीं पता था कि उनका करियर एक दिन उन्हें वहीं लेकर जाएगा जहां उनका जन्म हुआ था।'

भू-राजनीतिक समीकरणों के एक्सपर्ट हैं कपूर

अपने स्नातक के दौरान कपूर ने दक्षिण एशिया के मामलों पर बैचलर की डिग्री ली और फिर यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो से राजनीतिक विज्ञान एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध में पीएचडी की। इसके बाद उन्होंने क्लेयरमोंट मैकेन्ना कॉलेज एवं स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में काम किया। ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान वह अमेरिकी विदेश विभाग की नीतियां बनाने में भी अपनी सेवा दे चुके हैं। कपूर एक विद्वान हैं और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा व भू-राजनीतिक समीकरणों के एक्सपर्ट हैं। उन्होंने परमाणु प्रतिरोध, इस्लामी समूहों, दक्षिण एशिया में शक्ति और सुरक्षा की गतिशीलता, भारत, पाकिस्तान और संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों पर कई पुस्तकें लिखी हैं।

उनकी प्रमुख किताबें निम्नलिखित हैं-

डेंजरस डेटेरेंट : न्यूक्लियर वेपन प्रोलिफरेशन एंड कन्फिलिक्ट इन साउथ एशिया

जिहाद एज ग्रैंड स्ट्रेटजी : इस्लामिस्ट मिलिटेंसी, नेशनल सेक्युरिटी एंड द पाकिस्ताी स्टेट

इंडिया, पाकिस्तान एंड द बॉम्ब : डिबेटिंग न्यूक्लियर स्टैबिलिटी इन साउथ एशिया

द चैलेंजेज ऑफ न्यूक्लियर सेक्युरिटी : यूएस एंड इंडियन पर्सपेक्टिव

पाकिस्तान के आलोचक कपूर

कपूर की पहचान पाकिस्तान विरोधी एक आलोचक की है। अपनी किताब 'जिहाद एज ग्रैंड स्ट्रैटजी' में उन्होंने आतंकवाद का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करने के लिए उन्होंने उसकी काफी आलोचना की है। अपनी इस किताब में वह लिखते हैं, 'कपूर ने लिखा, 'ब्रिटिश राज की समाप्ति और 1947 में पाकिस्तान की स्थापना के बाद से ही, पाकिस्तान ने इस्लामी आतंकवादियों का इस्तेमाल करते हुए अपनी सुरक्षा हितों को बढ़ावा देने की कोशिश की है। आज, आतंकवादी प्रॉक्सी (माध्यम) पारंपरिक और परमाणु बलों के साथ-साथ पाकिस्तान द्वारा अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख उपकरणों में से एक हैं। जिहाद पाकिस्तान की व्यापक रणनीति का एक केंद्रीय तत्व बन गया है।' कपूर का कहना है कि आतंकियों का प्रॉक्सी के तौर पर इस्तेमाल पाकिस्तान की 'अस्थिरता' को नहीं दिखाता बल्कि यह 'सोची-विचारी सरकार की एक नीति है'। यह ऐसी नीति है जिससे कम लागत में वह पारंपरिक रूप से श्रेष्ठ भारत को चुनौती देता है।

आतंक के खिलाफ बस 'आंशिक सहयोगी' है पाक

कपूर ने 2023 में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) के लिए लिखे एक लेख में भी पाकिस्तान की आलोचना यह कहते हुए किया कि आतंक के खिलाफ युद्ध में वह केवल एक 'आंशिक सहयोगी' रहा है। कपूर ने आगे कहा, 'और आतंकवादी संगठनों पर पाकिस्तान की कथित कार्रवाईयों के बावजूद जिसमें लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख मुफ्ती मोहम्मद हाफिज सईद की गिरफ्तारी और कैद भी शामिल है, अन्य महत्वपूर्ण आतंकवादी, जिनमें लश्कर-ए-तैयबा के वरिष्ठ नेता भी हैं, अब भी पाकिस्तान में खुलेआम घूम रहे हैं।'

भारत के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण

भारत को लेकर कपूर का नजरिया शुरू से सकारात्मक रहा है। उन्होंने अमेरिका–भारत साझेदारी को मजबूत करने का आह्वान किया है और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव का मुकाबला करने में उन्होंने नई दिल्ली को एक अहम अमेरिकी साझेदार माना है। कपूर ने हूवर इंस्टीट्यूशन के लिए लिखे एक लेख में कहा, 'अमेरिका–भारत की रणनीतिक साझेदारी में एक स्वाभाविक गुण दिखाई देता है। हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मुक्त और खुला बनाए रखने की आवश्यकता, उभरती चीनी शक्ति का संतुलन, और व्यापार व अन्य आर्थिक सहयोग ये सभी ऐसे कारक हैं जो भारत और अमेरिका को एक दूसरे के ज्यादा करीब लाते हैं।'

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आलोक कुमार राव
आलोक कुमार राव Author

आलोक कुमार राव न्यूज डेस्क में कार्यरत हैं। यूपी के कुशीनगर से आने वाले आलोक का पत्रकारिता में करीब 19 साल का अनुभव है। समाचार पत्र, न्यूज एजेंसी, टेल... और देखें

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