चीन चल रहा रेयर अर्थ ब्लैकमेलिंग चाल
दुर्लभ मृदा खनिज यानी रेयर अर्थ मेटल दुनिया के लिए कितना जरूरी हो गया है ये बात अब पूरी तरह सामने आ गई है। इस पर चीन का एकाधिकार है और वह पूरी दुनिया को इसका अहसास भी करवा रहा है। अब वह अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदी अमेरिका को भी इसके लिए तरसाने लगा है। चीन ने हाल ही में इसके निर्यात पर रोक लगाने का एकतरफा फैसला लिया है। इससे पूरी दुनिया में खलबली मची हुई है। खासतौर पर डोनाल्ड ट्रंप से शी जिनपिंग की मुलाकात से पहले चीन ने अमेरिका को सबसे बड़ा झटका देते हुए रेयर अर्थ के निर्यात पर रोक का फैसला लिया है। इससे बौखलाकर ट्रंप ने चीन पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया। आखिर कितना है चीन का रेयर अर्थ साम्राज्य और इस क्षेत्र में उसकी बादशाहत कैसे है, क्यों अमेरिका साथ ठनी हुई है, जानते हैं।
वैश्विक दुर्लभ मृदा उत्पादन के लगभग 60% और शोधन के लगभग 90% पर चीन का कब्जा है। इसी बढ़त ने चीन को रेयर अर्थ मेटल मामले में दुनिया में सिरमौर बना दिया है। पूरी दुनिया जरूरी रेयर अर्थ के लिए चीन की ओर ताकती है। चीन में हर तरफ रेयर अर्थ का खजाना है जिससे वह पूरी दुनिया पर बढ़त बनाए हुए है। चीन स्थायी चुम्बकों पर निर्यात प्रतिबंध लगाकर अपनी पकड़ लगातार मजबूत कर रहा है। पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था चीन से आने वाले इन चुम्बकों पर निर्भर है। अगर इनका निर्यात बंद कर दिया जाए, तो इसका असर पूरी दुनिया में पड़ेगा।
दरअसल, रेयर अर्थ वो खास खनिज हैं जो नई टेक्नोलॉजी की ताकत और जान है। चाहे स्मार्टफोन, लैपटॉप, क्लीन एनर्जी, या इलेक्ट्रिक व्हीकल्स हों, सभी चीजों में रेयर अर्थ का इस्तेमाल होता है। यहां तक कि मिसाइल, रडार सिस्टम, ड्रोन और जेट इंजन में भी इनका इस्तेमाल होता है। इन धातुओं में ऐसे चुंबकीय, चमकीले और इलेक्ट्रो-केमिकल गुण होते हैं जो किसी और मैटेरियल से नहीं मिल सकते। यानी इनका कोई विकल्प ही नहीं है। ऐसे में चीन का फैसला न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के लिए बड़ा झटका है। जहां पूरी दुनिया AI और क्लीन एनर्जी की तरफ बढ़ रही है, ऐसे में रेयर अर्थ की सप्लाई और उत्पादन पर प्रतिबंध ने विश्व रणनीतिक चिंता बढ़ा दी है।
रेयर अर्थ के निर्यात पर चीन के प्रतिबंध अमेरिकी रक्षा उद्योग के लिए खतरा बन गए हैं, जिससे राष्ट्रपति शी जिनपिंग को आगामी व्यापार वार्ता में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर मजबूत बढ़त मिल गई है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने 9 अक्टूबर को घोषणा की थी कि बीजिंग विदेशी सेनाओं द्वारा उपयोग के लिए रेयर अर्थ सामग्रियों के निर्यात की अनुमति नहीं देगा। ये चीन द्वारा लगाए गए पहले ऐसे प्रतिबंध हैं जो खास तौर पर रक्षा क्षेत्र को लक्षित करते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, इसका अर्थ यह है कि यह विदेशी सेनाओं और सैन्य इस्तेमाल के लिए अंतिम उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को लाइसेंस देने से इनकार कर देगा। यह ऐसे समय में रक्षा औद्योगिक आधार के विकास को कमजोर करेगा, जब वैश्विक तनाव बढ़ रहा है। रक्षा विभाग के अनुसार, रेयर अर्थ चुम्बक अमेरिकी वेपन सिस्टम जैसे कि एफ-35 युद्धक विमान, वर्जीनिया और कोलंबिया श्रेणी की पनडुब्बियां, प्रीडेटर ड्रोन, टॉमहॉक मिसाइल, रडार और स्मार्ट बमों की ज्वाइंट डायरेक्ट अटैल म्यूनिशनमें महत्वपूर्ण घटक है।
अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स इन चाइना द्वारा मई में किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 75% अमेरिकी कंपनियों को उम्मीद है कि उनके रेयर अर्थ स्टॉक कुछ ही महीनों में खत्म हो जाएंगे। अमेरिकी उत्पादकों ने वाशिंगटन से प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए बातचीत करने की अपील की, और जून में लंदन में व्यापार वार्ता के दौरान चीन निर्यात लाइसेंस को मंजूरी देने में तेजी लाने पर सहमत हुआ। रेयर अर्थ के निर्यात पर प्रतिबंध के चीन के हाल ही के फैसले से इन कोशिशों पर पानी फिरने का खतरा है। दरअसल, भू-राजनीतिक उपकरण यानी जियो पॉलिटिकल टूल के रूप में चीन द्वारा रेयर अर्थ का रणनीतिक इस्तेमाल कोई नई बात नहीं है। 2010 में बीजिंग ने क्षेत्रीय विवाद के कारण जापान को निर्यात दो महीने के लिए रोक दिया था, जिससे कीमतों में तेजी आई और सप्लाई चेन जोखिम में पड़ गई।
रेयर अर्थ मेटल की कमी से प्रभावित होने वाली एकमात्र अर्थव्यवस्था सिर्फ अमेरिका नहीं है। यूरोपीय संघ अपने 98% रेयर अर्थ चुम्बकों के लिए चीन पर निर्भर है। ऑटो पुर्जों, लड़ाकू विमानों और चिकित्सा इमेजिंग उपकरणों के लिए इनका इस्तेमाल होता है। यूरोपीय आयोग, जो यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा है, उसका लक्ष्य 2030 तक क्रिटिकल रॉ मैटेरियल्स एक्ट के तहत घरेलू स्तर पर 7,000 टन यूरोपीय संघ-आधारित चुम्बकों का उत्पादन करना है। इसके तहत कई खनन, शोधन और पुनर्चक्रण परियोजनाएं चल रही हैं। इस साल एस्टोनिया में एक विशाल, रेयर अर्थ प्रोसेसिंग यूनिट खोला गया है, और इसके साथ ही दक्षिण-पश्चिमी फ्रांस में एक और बड़ा प्लांट 2026 में चालू हो जाएगा।
चीन रेयर अर्थ सामग्रियों की ग्लोबल सप्लाई चेन पर हावी है। अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के अनुसार, दुनिया भर में खनन के 60% और शोधन के 90% से अधिक पर इसका नियंत्रण है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार, अमेरिका अपने लगभग 70% दुर्लभ मृदा आयात के लिए चीन पर निर्भर है। हैरत वाली बात ये है कि दुनिया का सबसे ताकतवर देश होने के बावजूद अमेरिका के पास दुर्लभ मृदा पदार्थों का कोई रणनीतिक भंडार नहीं है, और उसने चीन को दुर्लभ रेयर अर्थ के शोधन के 90% पर एकाधिकार करने दिया है।
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