Kamyaab Review In Hindi: हीरो का दोस्त, मां-बाप, विलेन का साथ देने वाला। बॉलीवुड में इन्हीं कैरेक्टर अभिनेता एक फिल्म को पूरा करते हैं। फिल्म खत्म सफल होने के बाद हीरो के सामने ये एक्टर्स गुम हो जाते हैं। कैरेक्टर अभिनेताओं से जुड़े खट्टे, मीठे और कड़वे अनुभवों पर बनी संजय मिश्रा की फिल्म कामयाब छह मार्च को रिलीज हो रही है। इससे पहले ये कई फिल्म फेस्टिवल धूम मचा चुकी है। फिल्म के ट्रेलर को यूट्यूब पर 60 लाख से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं।
कामयाब की कहानी कैरेक्टर एक्टर सुधीर (संजय मिश्रा) की जिंदगी के ईर्द-गिर्द घूमती है, जो 499 फिल्म कर चुका है। सुधीर मुंबई के एक पुराने फ्लैट में रहते हैं। एक दिन एक फिल्म जर्नलिस्ट उनका इंटरव्यू लेने आती हैं।
सुधीर को जर्नलिस्ट के सवाल काफी बोरिंग लगते हैं। एक सवाल के जवाब में सुधीर कहता हैं- 'चरित्र अभिनेताओं आलू जैसा होता है, उसे बच्चन, कपूर, कुमार किसी के साथ भी मिला सकते हैं। दर्शकों के दिलों में सिर्फ हीरो बसते हैं, साइड हीरो नहीं।' इसके बाद वह जर्नलिस्ट उसे याद दिलाती है कि वह 499 फिल्म में काम कर चुके हैं।
सुधीर के दिमाग से वह 499 का आंकड़ा निकल नहीं पाता है। वह अपनी 500 फिल्म की तैयारी शुरू कर देते हैं। हालांकि, उनकी ये राह आसान नहीं होती है। इसमें उनकी मदद करते हैं कास्टिंग डायरेक्टर गुलाटी (दीपक डोबरियाल)। अब सुधीर को किन मुश्किलों का सामना करना होता है। क्या वह अपनी 500वीं फिल्म बना पाएंगे। इन सवालों का जवाब जानने के लिए आपको कामयाब देखनी होगी।
एक्टिंग
फिल्म में अवतार गिल, दीपक डोबरियाल, विजू खोटे, लिलिपुट जैसे कई करैक्टर एक्टर हैं। विजू खोटे की ये आखिरी फिल्म है। फिल्म की जान इसके लीड रोल संजय मिश्रा हैं। उन्होंने हर बार की तरह इसके साथ न्याय किया है।
संजय मिश्रा के अलावा फिल्म में ईशा तलवार एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस का किरदार निभाया है, जो सुधीर के पास एक अपार्टमेंट में रहती हैं। सुधीर जहां अपनी कमबैक के लिए परेशान हैं। वहीं, ईशा वेब सीरीज में छोटे-मोटे रोल के जरिए गुजारा कर रही हैं। इसके अलावा दीपक डोबरियाल ने अपने किरदार से भी पूरा न्याय किया है।
मजबूत और कमजोर कड़ी
कामयाब के लेखक और डायरेक्टर हार्दिक मेहता हैं। हार्दिक मेहता इससे पहले राजकुमार राव की फिल्म ट्रैप्ड को भी डायरेक्ट कर चुके हैं। फिल्म का दूसरा हाफ भले ही धीमा है, इसके बावजूद कामयाब की कहानी और निर्देशन दोनों ही आखिर तक बांधे रखती है।
फिल्म के कई सीन से सीधे दर्शक कनेक्ट हो सकते हैं।हालांकि, फिल्मका क्लाइमैक्स थोड़ा निराश करता है। पीयूष पूटी की सिनेमेटोग्राफी काफी अच्छी है, जो कहानी को अपने अंजाम तक पहुंचाने में पूरा साथ देती है।
देखें या नहीं?
बॉक्स ऑफिस पर कामयाब की टक्कर बागी से है। बागी के मुकाबले ये पूरी तरह से एक अलग फिल्म है। फिल्म की जान इसके चरित्र अभिनेता ही हैं। अगर आप संजय मिश्रा की एक्टिंग और अच्छी कहानी देखने के शौकीन हैं, तो ये फिल्म देखी जा सकती है।
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