नई दिल्ली। Payal Tadvi Suicide Note:पायल तड़वी जो आज अगर जिंदा होती तो कितना नाम कमाती, मगर ऐसा हुआ नहीं मुंबई के एक सरकारी अस्पताल में एक पायल तड़वी नाम की महिला डॉक्टर ने अपने उपर लगातार किए जाने वाले जातिगत टिप्पणी से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। उसका आरोप था कि उसके सीनियर उस पर अक्सर उसकी जाति से संबंधित अपमानजनक टिप्पणियां करते रहते थे।
22 मई को बीवायएल नायर अस्पताल में अपने केबिन में पायल सलमान तड़वी को मृत अवस्था में पाया गया था। वह अस्पताल में महिला संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं (गायनेकॉलोजिस्ट) को देखती थी।
पायल तड़वी आत्महत्या मामले की जांच में पुलिस ने एक एंटी-रैगिंग कमेटी गठित की थी, जानकारी के मुताबिक एचओडी, डॉक्टर और अस्पताल कर्मचारियों समेत 30 लोगों से पूछताछ की गई थी।
इस मामले में नया खुलासा सामने आया है बताया जा रहा है कि इस मेडिकल कॉलेज में तीन मेडिकल छात्रों को मानसिक रुप से हरैस किया गया था उन्हें अपमानित किया गया था। इन्हीं में पायल तड़वी भी शामिल थी जिसे महीनों तक कुछ सीनियर डॉक्टरों ने मानसिक रुप से प्रताड़ित और अपमानित किया गया था और इसी से तंग आकर पायल ने आत्महत्या कर ली थी। मुंबई की डॉक्टर पायल तड़वी मौत मामले में अब पुलिस ने सुसाइड नोट का खुलासा हुआ है।
अब पायल तड़वी का सुसाइड नोट सामने आया है जिसमें उसने तीन पेज का लंबा चौड़ा एक नोट लिखा है और अपने उस समय के हालातों का ब्यौरा दिया है। पुलिस के द्वारा दायर किए 1,200 पेज के आरोपपत्र में तीन पेज का पायल का सुसाइड नोट भी शामिल है जिसके आधार पर हेमा आहूजा, भक्ति मेहारे और अंकिता खंडेलवाल को आरोपी बताया गया है।
पायल के सुसाइड नोट में क्या है पढ़ें हू-ब-हू
मॉम और डैड, मैं काफी दुखी हूं मैं आत्महत्या करने जा रही हूं। मुझे पता है कि आप सब मुझे कितना चाहते हैं और मेरे लिए हर काम करते हैं, लेकिन नहीं, इस स्टेज पर सब कुछ असहनीय हो गया है। मैं अब उनके साथ एक मिनट भी नहीं रह सकती हू। पिछले एक साल से मैं उन्हें झेल रही हूं और हर रोज सोचती हूं कि अब ये सब खत्म हो जाएगा। लेकिन अब मुझे मौत ही अंत दिखाई दे रहा है क्योंकि इससे निकलने का कोई रास्ता मुझे सूझ नहीं रहा है। मैं हर दिन फंसा हुआ महसूस करती हूं। हर एक दिन गुजर रहा है लेकिन मेरे साथ कुछ बदल नहीं रहा है, ऐसा क्यों है?
मुझे परेशान करने से आपको (आरोपी) क्या मिलता है? मैंने काफी सोचने समझने के बाद सुसाइड का फैसला किया है। मैंने देख लिया कि मेरे सपोर्ट में मेरे डिपार्टमेंट में कोई भी नहीं है। मुझे तो ये लगता है कि ये सब हमारी ही गलती है, हम सब सहते जाते हैं। मैंने काफी जोश और जुनून के साथ ये प्रोफेशन ज्वाइन किया था क्योंकि मैं हमेशा से गायनेकोलॉजिस्ट बनना चाहती थी। मैंने इस कॉलेज में दाखिला लिया ताकि मैं अच्छे संस्थान के तहत कुछ बेहतर सीख सकूं। लेकिन लोगों ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया।
शुरुआत में मैंने और स्नेहल ने किसी को कुछ भी नहीं कहा। लेकिन आगे चलकर ये इतना बढ़ गया कि हम इसे बरदाश्त करना हमारी बस से बाहर हो गया। हमने उनके खिलाफ शिकायत भी की लेकिन कोई रिजल्ट नहीं निकला। हालात वैसे ही थे और बदतर हो जा रहे थे। हर किसी के सामने मरीजों, स्टाफ हर किसी के सामने हमें अपमानित होना पड़ रहा था। मेरी प्रोफेशनल लाइफ और पर्सनल लाइफ बर्बाद हो गई थी क्योंकि जब तक वे यहां थे उन्होंने तय कर लिया था कि मुझे बर्बाद करना है।
मुझे जानबूझ कर पीएमसी वार्ड में पोस्टेड किया गया ताकि मैं एएनसी और गायनेक मरीजों के बारे में सीख ना सकूं। मुझे पिछले तीन सप्ताह से ओपीडी के समय लेबर रुम में जाने से भी मना कर दिया गया था। उन्होंने मुझे मरीजों का चेकअप करने से रोक रखा था। मुझे केवल कंप्यूटर पर एंट्री करने का काम दे दिया गया था। मैं बस एक क्लर्क की तरह रह गई थी। सारे प्रयास करने के बाद भी जब कुछ नतीजे नहीं निकले तो मैं मानसिक रुप से तनाव में आ गई।
यहां का वातावरण बिल्कुल भी अच्छा नहीं था और सारी उम्मीदें भी खत्म हो रही थी। मैं अपने और स्नेहल की इन हालातों के लिए हेमा आहूजा, भक्ति मेहारे और अंकिता खंडेलवाल को जिम्मेदार मानती हूं। मैंने कई बार आगे आकर मैडम से बोलने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है मुझे बस अब यही एक अंत नजर आ रहा है।
माता-पिता और अपनों से क्षमा चाहती हूं। मुझे नहीं पता कि स्नेहिल इन तीनों से लड़ पाएगा कि नहीं। मैं तुम्हें उन तीनों के साथ अकेला छोड़ देने के लिए भी माफी मांगती हूं।