मयूरभंज : ओडिशा के मयूरभंज जिले की एक प्रेग्नेंट महिला की एंबुलेंस में ही अस्पताल जाते वक्त मौत हो गई। इस घटना से अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही का मामला सामने आया है। दरअसल उस महिला को तेज प्रसव पीड़ा शुरू हो गई जिसके बाद उसे एंबुलेंस की मदद से अस्पताल ले जाया जाने लगा।
लेकिन रास्ते में ही एंबुलेंस में इंधन खत्म हो गया जिसके कारण पीड़िता को अस्पताल नहीं पहुंचाया जा सका। तेज प्रसव पीड़ा नहीं सह पाने के कारण पीड़िता की रास्ते में ही मौत हो गई। यह घटना मयूरभंज जिले के हनाडा गांव के बंगीरीबपोसी इलाके का है।
चितरंजन मुंडा की पत्नी तुलसी मुंडा को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो चितरंजन उसे गांव के सामुदायिक अस्पताल ले गया। स्थिति खराब होने के कारण वहां के डॉक्टरों ने उसे बरीपाडा अस्पताल रेफर कर दिया। यहां के डॉक्टरों ने उसे अस्पताल तक ले जाने के लिए पीड़िता को वाहन की भी कोई सुविधा नहीं दी।
चितरंजन उसे अस्पताल ले जाने के लिए इमरजेंसी नंबर 102 और 108 पर भी कॉल किया लेकिन किसी प्रकार की सुविधा नहीं जुटा पाया। आखिर में उसने प्राइवेट एंबुलेंस बुक की लेकिन इसी भी हालत खराब निकली क्योंकि रास्ते में ही इसका ईंधन खत्म हो गया।
दो घंटे के बाद चितरंजन ने दूसरे एंबुलेंस की व्यवस्था की लेकिन अस्पताल पहुंचाए जाने पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि तीव्र असहनीय प्रसव पीड़ा के कारण उसने दम तोड़ दिया।
चितरंजन मुंडा ने बताया कि एंबुलेंस में रास्ते में ही ईंधन खत्म हो गया जिसके बाद आशा वर्कर ने दूसरे एंबुलेंस को लिए कॉल किया। इस बीच एक घंटा गुजर गया फिर जब हम अस्पताल पहुंचे तो डॉक्टरों ने मेरी पत्नी को मृत घोषित कर दिया।
इस पूरे मामले पर जिला अस्पताल के ऑफिसर पीके मोहपात्रा ने बताया कि यहां सवाल ये है कि गलती किसकी है? सामुदायिक हेल्थ सेंटर, एंबुलेंस सर्विस, प्राइवेट एंबुलेंस या मरीज की किस्मत? उधर एंबुलेंस के ड्राइवर के मुताबिक वाहन में रास्ते में ही पाइप से ईंधन लीक करने लगा। डीएमओ ने बताया कि वे इस मामले की जांच करवाएंगे।