गरीबी का दंश नहीं झेल पाया युवक, हथेली पर लिखा- 'मां अपना खयाल रखना' और फिर...

क्राइम
Updated Jul 27, 2019 | 10:12 IST | टाइम्स नाउ डिजिटल

छत्तीसगढ़ के एक गांव में गरीबी से तंग आकर 18 वर्षीय एक स्कूली छात्रा ने आत्महत्या कर ली। उसने मरने के पहले अपनी हथेली पर ये सुसाइड नोट लिखा।

boy suicide
गरीबी से तंग आकर कर ली आत्महत्या  |  तस्वीर साभार: Representative Image
मुख्य बातें
  • गरीबी से तंग आकर छात्रा ने कर ली आत्महत्या
  • अपनी हथेली पर लिखा ये सुसाइड नोट
  • पढ़ाई के साथ-साथ करता था मजदूरी
  • बीमार विधवा मां की भी करता था देखभाल

रायपुर : गरीबी से तंग आकर स्कूली लड़के ने फांसी लगा कर आत्महत्या कर ली। दिल को झकझोर कर रख देने वाला ये मामला छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले का है। उसने मरने के पहले अपने हाथ की हथेली पर सुसाइड नोट लिखा जिसीक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई है। गरीबी से तंग आकर 18 वर्षीय स्कूली छात्र ने देवरी गांव में अपने घर पर आत्महत्या कर ली। इसके पहले गणेश ने अपनी हथेली पर सुसाइड नोट लिखा- मां अपना खयाल रखना। 

पार्ट टाइम स्कूल जाने और पार्ट टाइम मजदूरी करने वाला गणेश कक्षा 11 वीं का छात्र था। वह महीने में 15 दिन स्कूल जाता था और 15 दिन दिहाड़ी मजदूरी करता था ताकि वह अपनी बीमार विधवा मां की देखभाल कर सके। उनका घर भी गरीबी की मार झेल रहा था और ऐसे में केवल गणेश ही इस परिवार का सहारा था। 

इस घटना के बाद इलाके में सनसनी मच गई है। शुक्रवार को उसने अपनी मां को एक अंतिम संदेश लिखा। उसने लिखा- मां अपना ध्यान रखना, मैं इस तरह की जिंदगी नहीं जी सकता। मैं आगे भी पढ़ाई करना चाहता हूं लेकिन...

जिस जगह पर इसका गांव है वहां से राजधानी रायपुर की दूरी 20 किमी है। एक ग्रामीण ने बताया कि उसने अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए भरसक कोशिश की थी। वह अपनी बीमार मां की देखभाल भी करता था और समय निकाल कर पढ़ाई भी करता था। इसके लिए उसे मजदूरी करनी पड़ती थी लेकिन फिर भी उसकी समस्याओं को हल नहीं निकल रहा था। 

गणेश के पिता की कुछ सालों पहले ही मौत हो गई थी इसके बाद परिवार पर काफी बोझ आ गया था। उन्होंने किसी तरह से गणेश की बड़ी बहन की शादी करवाई। गणेश अपनी पढ़ाई करना चाहता था लेकिन हर बार उसकी मां की बीमारी के सामने उसकी सारी कमाई कम पड़ जाती थी। मां के कारण उसे अतिरिक्त समय निकाल कर मजदूरी करनी पड़ती थी इसी वजह से वह पढ़ाई करने का अपना सपना पूरा नहीं कर पाता था। 

15 दिनों तक काम करने के बाद भी उसे महीने भर का खर्चा निकालना मुश्किल हो जाता था। पाइपलाइन कांट्रैक्टर में 9 घंटे काम करने के बाद उसे 200 रुपए मेहनताना मिलता था। इसमें से आधा उसकी मां की बीमारी के इलाज में खत्म हो जाता था। मजदूरी कर के घर आने के बाद थक हार कर पढ़ाई कर पाना उसके लिए संभव नहीं रह जाता था। पुलिस ने आस पड़ोस, उसकी मां से पूछकर ये बातें बताई।

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