नई दिल्ली, 14 अक्टूबर: सालों पहले जब दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट को नस्लभेद व रंगभेद के दौर से बाहर आने के बाद दोबारा मैदान पर उतरने की आजादी मिली थी, वो एक शानदार पल था। साउथ अफ्रीका क्रिकेट आगे बढ़ा और उसने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत को कई महान क्रिकेटर दिए और कई दिग्गज आज भी सक्रिय हैं। लेकिन अब एक बार फिर खलबली मची हुई है। दक्षिण अफ्रीका पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से प्रतिबंध का खतरा मंडरा रहा है और अब ये निश्चित होता नजर आ रहा है क्योंकि उसकी सरकार ने बुधवार को कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा गंभीर दुराचार के बाद वो देश में क्रिकेट की राष्ट्रीय संस्था के मामलों में हस्तक्षेप का इरादा रखती है।
दक्षिण अफ्रीका के खेल मंत्री नाथी मेथेथवा ने एक बयान में कहा कि उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) को इस कदम की जानकारी दे दी है। गौरतलब है कि आईसीसी का संविधान सरकारी हस्तक्षेप को प्रतिबंधित करता है और सजा के रूप में आम तौर पर राष्ट्रीय क्रिकेट बोर्ड के स्वतंत्र रूप से काम शुरू करने तक देश की टीम को अंतरराष्ट्रीय मैचों में खेलने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है।
दक्षिण अफ्रीका सरकार और क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका (सीएसए) के बीच तनाव क्रिकेट बोर्ड के मामलों की लंबे समय से चली आ रही जांच के कारण है। इस जांच के बाद अगस्त को सीएसए के सीईओ थबांग मेरोई को गंभीर दुराचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। लेकिन क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका ने स्वतंत्र जांचकर्ता की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया और साथ ही सरकार से जुड़े दक्षिण अफ्रीका खेल महासंघ एवं ओलंपिक समिति की सीएसए के मामलों की स्वयं जांच कराने का भी विरोध किया। सीएसए को हालांकि अंतत: झुकना पड़ा और उसने फोरेंसिक जांच की रिपोर्ट इस महीने सार्वजनिक कर दी। रिपोर्ट मिलने के दो महीने से अधिक समय बाद सार्वजनिक की गई।
उधर, सितंबर के दूसरे हफ्ते में दक्षिण अफ्रीका खेल परिसंघ और ओलंपिक समिति (एसएएससीओसी) ने भी क्रिकेट साउथ अफ्रीका (सीएसए) को निलंबित कर दिया था क्योंकि वो इस क्रिकेट संस्था में कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार की जांच कराना चाहता था। ओलंपिक समिति द्वारा अचानक लिए गए इस एक्शन से दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट बोर्ड हिल गया। इस निलंबन के बाद ये साफ हो गया था कि सीएसए में दैनिक कार्यों का संचालन करने के लिये कोई नहीं होगा और अब बोर्ड पूरी तरह से लाचार हो चुका है जिसका ध्यान रखने वाला कोई नजर नहीं आ रहा। उधर, दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट खिलाड़ियों ने भी मोर्चा खोलने का विचार किया और सभी खिलाड़ी एक साथ आगे आए लेकिन इसका क्या फायदा हुआ, इसके बारे में भी आपको बताते हैं।
ये पूरा प्रकरण, विवाद और समस्या कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ महीने पहले वहां के खिलाड़ियों ने हस्ताक्षर करके अपने क्रिकेट बोर्ड को एक बयान भेजा था। साउथ अफ्रीकी टीम के कप्तान क्विंटन डी कॉक सहित दक्षिण अफ्रीका के तमाम खिलाड़ियों ने देश के क्रिकेट बोर्ड से अपनी समस्याओं को सुलझाने और खेल को बचाने को कहा था जिसकी वित्तीय व्यावहारिकता खतरे में है। दक्षिण अफ्रीका क्रिकेटर्स संघ (एसएसीए) ने सितंबर की शुरुआत में जो बयान भेजा था उसमें 30 पुरुष और महिला खिलाड़ियों के हस्ताक्षर थे।
इस बयान में ये भी कहा गया था कि देश के क्रिकेट पर राजनीति और निजी स्वार्थ हावी हो चुके हैं। ऐसे फैसले किए जाने चाहिए जो क्रिकेट को बचा सकें और उसकी बेहतरी व हित में हो। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो जिस खेल को हम प्रेम करते हैं उसका भारी नुकसान हो सकता है। दक्षिण अफ्रीकी खिलाड़ियों की इस भावुक अपील से साफ था कि मामला गंभीर हो चुका है लेकिन उनकी शायद किसी ने सुनी नहीं और अब क्रिकेट ही नहीं कई अन्य खेलों की वहां स्थिति ऐसी है कि आने वाले दिनों में कई युवा खिलाड़ी वहां से निकलकर अन्य देशों का रुख कर सकते हैं।
साउथ अफ्रीका क्रिकेट में राजनीति एक प्रमुख वजह जरूर थी वहां की मौजूदा हालत की..लेकिन इसके अलावा एक बड़ी समस्या आर्थिक स्थिति की भी थी जो 2020 में कोरोना महामारी व लॉकडाउन से और खतरनाक हो गई। कोविड की वजह से कई सीरीज व टूर्नामेंट रद्द करने पड़े और दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बोर्ड को इस वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ा। वहीं इसी बीच उनके दो शीर्ष अधिकारियों की भी रवानगी हो गई। पहले पूर्व सीईओ थबांग मोरो को बर्खास्त किया गया। उसके बाद क्रिस नेनजानी ने भी इस्तीफा दे दिया जिससे आर्थिक के साथ-साथ बोर्ड के अंदर व बाहर राजनीतिक संकट और गहराने लगा।
दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट में जो कुछ चल रहा था उससे क्रिकेट जगत के अंदर हर कोई वाकिफ था लेकिन ये धीरे-धीरे ही बाहर आया। शुरुआत में कोई नहीं बोला लेकिन जब संकट गहराने लगा और देश के तमाम खिलाड़ियों ने पत्र लिखकर मामले को पूरी तरह से सार्वजनिक कर दिया तो पूर्व दिग्गज भी बोलने लगे। दक्षिण अफ्रीका के पूर्व महान क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने कहा कि ये बेहद दुख की बात है कि देश के 30 शीर्ष खिलाड़ी साथ आकर खुले तौर पर एक साथ काम करके खेल को पटरी पर लाना चाहते हैं लेकिन प्रशासन में इतनी गड़बड़ी और आराजकता फैल चुकी है कि इसका असर सिर्फ मैदान पर ही नहीं पड़ रहा बल्कि क्रिकेट खत्म होने की कगार पर है।
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